Telegram Join Whatsapp (1) Whatsapp (2)

आप दुबलिकेट वेबसाइट से बचे दुनिया का एकमात्र वेबसाइट यही है SM Study Point और ये आपको पैसे पेमेंट करने को कभी नहीं बोलते है क्योंकि यहाँ सब के सब सामग्री फ्री में उपलब्ध कराया जाता है धन्यवाद !

Class 10th NCERT History Chapter 1 | BTC Itihas | युरोप मे राष्ट्रवाद | क्लास 10वीं सरकारी किताब इतिहास अध्याय 1 | अति लघु उत्तरीय, लघु उत्तरीय और दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

Class 10th NCERT History Chapter 1  BTC Itihas  युरोप मे राष्ट्रवाद  क्लास 10वीं सरकारी किताब इतिहास अध्याय 1  अति लघु उत्तरीय, लघु उत्तरीय और दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
SM Study Point

वस्तुनिष्ठ प्रश्न :

1. इटली एवं जर्मनी वर्त्तमान में किस महादेश के अंतर्गत आते हैं ? 
(क) उत्तर अमेरिका 
(ग) यूरोप 
(ख) दक्षिणी अमेरिका 
(घ) पश्चिमी एशिया
2. फ्रांस में किस शासक वंश की पुर्नस्थापना वियना कांग्रेस द्वारा की गई थी ? 
(क) हैपसबर्ग 
(ख) ऑलिया वंश
(ग) बूर्बो वंश  
(घ) जार शाही
3. मेजनी का सम्बंध किस संगठन से था ? 
(क) लाल सेना 
(ख) कर्बोनरी 
(ग) फिलिक हेटारिया 
(घ) डायट
4. इटली एवं जर्मनी के एकीकरण के विरुद्ध निम्न में कौन था ? 
(क) इंग्लैण्ड 
(ख) रूस
(ग) ऑस्ट्रिया 
(घ) प्रशा 
5. 'काउंट काबूर' को विक्टर इमैनुएल ने किस पद पर नियुक्त किया ? 
(क) सेनापति 
(ख) फ्रांस में राजदूत 
(ग) प्रधानमंत्री 
(घ) गृहमंत्री
6. गैरीवाल्डी पेशे से क्या था ?
(क) सिपाही
(ख) किसान
(ग) जमींदार
(घ) नाविक
7. जर्मन राईन राज्य का निर्माण किसने किया था ? 
(क) लुई 18वाँ 
(ख) नेपोलियन बोनापार्ट
(ग) नेपोलियन 
 (घ) विस्मार्क
8. "जालवेरिन" एक संस्था थी :
(क) क्रांतिकारियों की
(ख) व्यापारियों की
(ग) विद्वानों की
(घ) पादरी सामंतों की
9. "रक्त एवं लौह" की नीति का अवलम्बन किसने किया था ? 
(क) मेजनी 
(ख) हिटलर 
(ग) विस्मार्क 
(घ) विलियम-I
10. फ्रैंकफर्ट की संधि कब हुई ?
(क) 1864
(ख) 1866
(ग) 1870
(घ) 1871
11. यूरोप वासियों के लिए किस देश का साहित्य एवं ज्ञान-विज्ञान प्रेरणास्रोत रहा ?
(क) जर्मनी
(ख) यूनान
(ग) तुर्की
(घ) इंग्लैंड
12. 1829 ई. की एड्रियानोपुल की संधि किस देश के साथ हुई ? 
(क) तुर्की 
(ख) यूनान 
(ग) हंगरी 
(घ) पोलैंड 
उत्तर : 1. (ग), 2. (ग), 3. (ख), 4. (ग), 5. (ग), 6. (घ), 7. (ख), 8. (ख), 9. (ग), (घ), 11. (ख), 12. (क) ।

निम्नलिखित में रिक्त स्थानों को भरें :

1. ...................... के युद्ध में ही एक महाशक्ति के पतन पर दूसरी यूरोपीय महाशक्ति जर्मनी का जन्म हुआ था ।
2. सेडोवा का युद्ध .................... और .................... के बीच हुआ था ।
3. 1848 ई. की फ्रांसीसी क्रांति ने ...................... युग का भी अंत कर दिया ।
4. बेटीकन सिटी का राजमहल, जहाँ ....................... रहते थे, जो इटली के ................... से बचा रहा ।
5. यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र घोषित करने के बाद बबेरिया के शासक ..................... को वहाँ का राजा घोषित किया गया ।
6. हंगरी की राजधानी ..................... है।
उत्तर—1. सेडान, 2. ऑस्ट्रिया; प्रशा, 3. पुरातन, 4. पोप संघर्ष, 5. ओटो, 6. बुडापेस्ट ।

निम्नलिखित समूहों का मिलान करें :

Class 10th NCERT History Chapter 1 | BTC Itihas | युरोप मे राष्ट्रवाद | क्लास 10वीं सरकारी किताब इतिहास अध्याय 1 | लघु उत्तरीय और दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (लगभग 20 शब्दों में उत्तर दें) :

प्रश्न 1. राष्ट्रवाद क्या है ?
उत्तर – राष्ट्रवाद एक ऐसी भावना है, जो किसी विशेष भौगोलिक, सांस्कृतिक या सामाजिक परिवेश में रहने वालों के बीच एकता की भावना का वाहक बनती है।
प्रश्न 2. मेजिनी कौन था ? 
उत्तर – मेजिनी मुख्यतः एक साहित्यकार था, लेकिन उसे राजनीति से भी प्रेम था । वह कुछ दिनों तक एक क्रांतिकारी और गुप्त संगठन कार्बोनरी से जुड़ा रहा था। लेकिन वह गणतंत्र में विश्वास रखता था ।
प्रश्न 3. जर्मनी के एकीकरण की बाधाएँ क्या थीं?
उत्तर – जर्मनी के एकीकरण की अनेक बाधाएँ थीं। वह लगभग 300 छोटे-बड़े राज्यों में बँटा हुआ था। इन सभी राज्यों के प्रमुखों की अपनी-अपनी सोच थी । धार्मिक और जातीय रूप से भी वे एक नहीं थे ।
प्रश्न 4. मेटरनखि युग क्या है ?
उत्तर – मेटरनिख पुरातन व्यवस्था का समर्थक था । नेपोलियन द्वारा स्थापित एकता उसे पसंद नहीं थी । इटली पर अपना प्रभाव जमाने के लिए उसने उसे कई राज्यों में विभाजित कर दिया। इसी युग को मेटरनिख युग कहते हैं ।

लघु उत्तरीय प्रश्न (लगभग 60 शब्दों में उत्तर दें ) :

प्रश्न 1. 1848 के फ्रांसीसी क्रांति के क्या कारण थे ?
उत्तर – फ्रांस का शासक लुई फिलिप उदारवादी था, लेकिन वह महत्वाकांक्षी था । उसने 1840 में गीज़ो को प्रधानमंत्री नियुक्त किया। गीजो कट्टर प्रतिक्रियावादी था । राज्य में वह किसी भी सुधार को लागू करने के पक्ष में नहीं था । राजा लुई फिलिप भी अमीरों का साथ पसन्द करता था । उसके पास कोई सुधारात्मक कार्यक्रम नहीं था । देश में भूखमरी और बेरोजगारी चरम पर थी। फलतः सुधारवादी क्षुब्ध रहने लगे। 1848 के फ्रांसीसी क्रांति के ये ही सब कारण थे ।
प्रश्न 2. इटली और जर्मनी के एकीकरण में आस्ट्रिया की क्या भूमिका थी ? 
उत्तर - इटली का एकीकरण आस्ट्रिया और पिडमाउण्ट में सीमा को लेकर विवाद था । इस कारण आस्ट्रिया और इटली में युद्ध शुरू हो गया । युद्ध 1859 में आरम्भ हुआ और 1860 तक चला । युद्ध में इटली के समर्थन में फ्रांस ने अपनी सेना उतार दी । आस्ट्रियाई सेना बुरी तरह परास्त हुई । फलतः ऑस्ट्रिया के एक बड़े राज्य लोम्बार्डी पर पिडमाउण्ट का अधिकार हो जाने से इटली एक बड़े राज्य के रूप में सामने आ खड़ा हुआ । काबूर मध्य तथा उत्तरी इटली को इटली में मिलाना चाहता था । इतना ही नहीं, रोम को छोड़ सम्पूर्ण इटली के एकीकरण में काबूर को सफलता मिल गई। आस्ट्रिया चुप बैठ जाना पड़ा । को
जर्मनी का एकीकरण- 1806 में नेपोलियन बोनापार्ट ने जर्मन क्षेत्रों को जीतकर राईन राज्य संघ का गठन किया। इसी के बाद जर्मनवासियों में राष्ट्रवाद की भावना बढ़ने ..लगी। लेकिन दक्षिण जर्मनी के लोग एकीकरण के विरोध में थे। जर्मनी में विद्रोह की स्थिति पैदा होने लगी, जिसे आस्ट्रिया और प्रशा ने मिलकर दबा दिया। प्रशा जर्मनी का एकीकरण अपने नेतृत्व में करना चाहता था, जिसके लिए वह अपनी सैन्य शक्ति बढ़ाने लगा। सैन्य शक्ति तथा कूटनीति के चलते जर्मनी के एकीकरण में वह सफल हो गया तथा बिस्मार्क को जर्मनी का चांसलर नियुक्त कर दिया। इस प्रकार इस एकीकरण में भी आस्ट्रिया ही मूल में था ।
प्रश्न 3. यूरोप में राष्ट्रवाद को फैलाने में नेपोलियन बोनापार्ट किस तरह सहायक हुआ ?
उत्तर – नेपोलियन बोनापार्ट ने जो जर्मनी और इटली में राष्ट्रीयता की स्थापना में मदद पहुँचाई, बल्कि सम्पूर्ण यूरोप के देशों में राष्ट्रीयता को लेकर उथल-पुथल आरम्भ हो गया । इस राष्ट्रीयता के मूल में राष्ट्रीयता की भावना के साथ ही लोकतांत्रिक विचारों का भी उदय हुआ। हंगरी, बोहेनिया तथा यूनान में स्वतंत्रता आन्दोलन इसी राष्ट्रवाद का परिणाम था । इसी आन्दोलन के प्रभाव के कारण उस्मानिया साम्राज्य का पतन हो गया और वह तुर्की तक में ही सिमट कर रह गया । राष्ट्रवाद के कारण ही बालकन क्षेत्र के स्लाव जाति को संगठित होने का मौका मिला और सर्बिया नामक नये देश का जन्म हुआ।
प्रश्न 4. 'गैरबाल्डी' के कार्यों की चर्चा करें ।
उत्तर – गैरबाल्डी सशस्त्र क्रांति का समर्थक था । वह इटली के रियासतों का एकीकृत करके इटली में गणतंत्र की स्थापना करना चाहता था । वह मैजिनी के विचारों को मानता था, किन्तु बाद में काबूर के प्रभाव में आकर संवैधानिक राजतंत्र का समर्थक बन गया । उसने अपने लोगों को मिलाकर एक सेना का गठन किया और सेना के बल पर इटली के प्रांतों सिसली तथा नेपल्स पर अधिकार जमा लिया। उसने विक्टर एमैनुअल के प्रतिनिधि के रूप में वहाँ की सत्ता सम्भाल ली । वह रोम पर आक्रमण करना चाहता था लेकिन काबूर के कहने से उसने यह योजना त्याग दी। उसने बहुत कुछ किया किन्तु कहीं का शासक बनने से इंकार कर दिया। इस त्याग से विश्व भर में उसकी प्रशंसा हुई । 
प्रश्न 5. "विलियम I के बेगैर जर्मनी का एकीकरण बिस्मार्क के लिए असम्भव था ।" कैसे ?
उत्तर – विलियम I, जिसे फ्रेडरिक विलियम भी कहा जाता है, बिस्मार्क के लिए बड़े ही महत्त्व का था । 1848 को पुरानी संसद को फ्रैंकफर्ट में बुलाया गया। वहाँ यह निर्णयं लिया गया कि फ्रेडरिक विलियम जर्मन राष्ट्र का नेतृत्व करेगा और उसी के नेतृत्व में समस्त जर्मन राज्यों को एकीकृत किया जाएगा। लेकिन विलियम ने इसको मानने से इंकार कर दिया । जब बिस्मार्क को जर्मनी का चांसलर नियुक्त कर दिया गया तो देश की एकता और शांति स्थापित करने से वह विलियम को आवश्यक मानने लगा। क्योंकि फ्रैंकफर्ट के निर्णय को वह भूला नहीं था ।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ( लगभग 150 शब्दों में उत्तर दें) :

प्रश्न 1. इटली के एकीकरण में मेजनी, काबूर और गैरीबाल्डी के योगदानों को बतावें ।
उत्तर – 'मेजनी' कलम के साथ तलवार में भी विश्वास करता था। वह साहित्यकार के साथ ही एक योग्य सेनापति भी था । लेकिन उसे राजनीति की अच्छी समझ नहीं थी । बार-बार की असफलता के बावजूद वह हार मानने वाला नहीं था। 1848 में यूरोपीय क्रांति के दौर में मेजनी को आस्ट्रिया छोड़ना पड़ा। बाद में वह इटली की राजनीति में सक्रिय हो गया। वह सम्पूर्ण इटली का एकीकरण कर उसे गणराज्य बनाना चाहता था । लेकन जब आस्ट्रिया ने इटली में चल रहने जनवादी आंदोलन को दबा दिया तो मेजनी को वहाँ से भागना पड़ा ।
सार्डिनिया- पिंडमाउंट का शासक 'विक्टर एमैनुएल' राष्ट्रवादी था और इटली का एकीकरण चाहता था । इस काम में तेजी लाने के लिए उसने 'काउंट काबूर' को अपना प्रधानमंत्री बना दिया | काबूर सफल राजनीतिज्ञ और कट्टर राष्ट्रवादी था | उसका मानना था कि इटली के एकीकरण में आस्ट्रिया सबसे बड़ा रोड़ा है। वह आस्ट्रिया को हराने के लिए फ्रांस से मित्रता कर ली और उसकी ओर से 1853-54 के क्रिमिया युद्ध में भाग लेने की घोषण करन दी। युद्ध की समाप्ति के बाद पेरिस के शांति-सम्मेलन में फ्रांस और आस्ट्रिया के साथ पिडमाउंट को भी बुलाया गया। काबूर इसमें सम्मिलत हुआ। अपनी कूटनीति के बल पर उसने इटली को पूरे यूरोप की समस्या बना दिया । इटली में आस्ट्रिया के हस्तक्षेप को गैर कानूनी घोषित कर दिया गया। यह काबूर की बहुत बड़ी सफलता थी ।
'गैरबाल्डी' महान क्रांतिकारी था । वह सशस्त्र क्रांति के बल पर दक्षिणी इटली के राज्यों के एकीकरण तथा गणतंत्र की स्थापना के प्रयास में था । पहले तो वह मेजनी का समर्थक था लेकिन बाद में काबूर के प्रभाव में आ गया ! काबूर ने इटली के दो प्रांतों सिसली तथा नेपल्स को जीतकर वहाँ गणतंत्र की स्थापना कर दी। इन दोनों प्रांतों को उसने सार्डिनिया-पिडमाउंट को दे दिया और स्वयं विक्टर इमैनुएल के प्रतिनिधि के रूप में वहाँ की सत्ता सम्भाल ली ।
अंततः मेजनी, काबूर और गैरबाल्डी के सम्मिलित प्रयास से 1871 तक इटली का एकीकरण होकर रहा।
प्रश्न 2. जर्मनी के एकीकरण में विस्मार्क की भूमिका का वर्णन करें । 
उत्तर — विस्मार्क जर्मन संसद (डायट) में अपने सफल कूटनीतिज्ञ होने का लगातार परिचय देता आ रहा था । वह निरंकुश राजतंत्र का समर्थन के साथ जर्मनी के एकीकरण के प्रयास में भी जुड़ा था। उसकी कूटनीतिक सफलता थी कि उदारवादी और कट्टरवादी — दोनों ही विस्मार्क को अपना समर्थक समझते थे । विस्मार्क 'रक्त और लौह नीति' का अवलंबन करते हुए जर्मनी के एकीकरण के लिए सैन्य शक्ति बढ़ाना चाहता था । उसने अपने देश में 'अनिवार्य सैन्य सेवा' लागू कर दी ।
विस्मार्क ने प्रशा को मजबूत करने का प्रयास किया ताकि जर्मनी के एकीकरण में आस्ट्रिया अवरोध खड़ा करने की स्थिति में नहीं रहे । लेकिन अपनी कूटनीतिक जाल में फंसाकर उसने आस्ट्रिया से संधि कर ली। 1864 में श्लेशविग और हॉलेस्टीन राज्यों को मुद्दा बनाकर उसने डेनमार्क पर आक्रमण कर दिया, क्योंकि ये दोनों राज्य इसी के अधीन थे । विजयी होने के बाद श्लेशविग प्रशा को मिला तथा हॉलेस्टीन आस्ट्रिया को । इन दोनों राज्यों में जर्मन मूल के लोगों की संख्या अधिक थी। इस कारण प्रशा ने जर्मन राष्ट्रवादी भावना भड़काकर विद्रोह फैला दिया। इस विद्रोह को आस्ट्रिया रोकना तो चाहता था, किन्तु प्रशा से होकर ही उसे वहाँ जाना था, जिसके लिए काबूर ने उसे मना कर दिया।
विस्मार्क आस्ट्रिया से युद्ध अवश्यम्भावी मानता था लेकिन उसकी मंशा थी कि दुनिया आस्ट्रिया को ही आक्रमणकारी समझे। दोनों में युद्ध शुरू हो गया, जबकि फ्रांस तटस्थ बना रहा। आस्ट्रिया ने 1866 ई. में प्रशा के खिलाफ सेडोवा में युद्ध की घोषणा कर दी । संधि के अनुसार प्रशा के पक्ष में इटली ने आस्ट्रिया पर आक्रमण कर दिया । अतः आस्ट्रिया दोनों ओर से घिर गया और बुरी तरह हार गया । फलतः आस्ट्रिया का जर्मन क्षेत्रों पर से प्रभाव समाप्त हो गया ।
अब जर्मन एकीकरण को पूरा करने के लिए थोड़े क्षेत्र पर ही अधिकार बाकी था । वह इस तरह पूरा हुआ कि फ्रांस ने प्रशा पर आक्रमण किया और हार गया । 10 मई, 1831 को फ्रैंकफर्ट में संधि हुई, इससे सम्पूर्ण जर्मनी क्षेत्र एक साथ मिल गए और जर्मनी का एकीकरण पूरा हो गया । विस्मार्क की कूटनीति सफल रही ।
प्रश्न 3. राष्ट्रवाद के उदय और प्रभाव की चर्चा कीजिए । 
उत्तर – राष्ट्रवाद का उदय फ्रांस की क्रांति के फलस्वरूप हुआ । क्रांति की सफलता से पूरे यूरोप में राष्टवाद का लहर उठ गया । फलस्वरूप अनेक छोटे-बड़े राष्ट्रों का उदय हुआ । बाल्कन क्षेत्र के छोटे राज्य एवं जातियों के समूहों में भी राष्ट्रवाद की भावना पनपने लगी । जर्मनी, इटली, फ्रांस, इंग्लैंड जैसे देशों में तो राष्ट्रवाद इतनी कट्टरता से उभरा कि साम्राज्यवाद फैलाने में ये एक-दूसरे से होड़ करने लगे। यह राष्ट्रवाद का नकारात्मक एवं घृणित पक्ष था । औद्योगिक क्रांति की सफलता भी कट्टर राष्ट्रवादिता को हवा देने लगी । ये बड़े साम्राज्यवादी सर्वप्रथम एशिया और बाद में अफ्रीका को अपना निशाना बनाने लगे। इसके लिए इनमें अनेक युद्ध भी हुए। जो जितना शक्तिशाली था, वह उतना ही बड़े भाग पर कब्जा जमा बैठा। इन उपनिवेशवादियों ने जहाँ अपनी जड़ जमाई वहाँ उन्होंने खुलकर शोषण किया। उपनिवेशों से उन्हें दो लाभ प्राप्त हुए । एक तो उद्योगों के लिए कच्चा माल आसानी से मिलने लगा और दूसरा यह कि तैयार माल का बाजार भी हाथ में आ गया। भारत के लिए इंग्लैंड, फ्रांस, पुर्तगाल और हॉलैंड में युद्ध हुआ, जिसमें इंग्लैंड विजयी रहा। हॉलैंड को तो भारत छोड़ना ही पड़ा, पुर्तगाल और फ्रांस एक कोने में सिमट कर रह गए। अफ्रीका को तो इन्होंने बपौती जमीन की तरह बाँटा । यह राष्ट्रवाद का घिनौना प्रभाव था ।
प्रश्न 4. जुलाई, 1830 की क्रांति का विवरण दीजिए ।
उत्तर – फ्रांस का शासक चार्ल्स दसवाँ निरंकुश तो था ही, घोर प्रतिक्रियावादी भी था । उसने फ्रांस में उभर रही राष्ट्रीयता को तो दबाया ही, जनतांत्रिक भावनाओं को भी कड़ाई से दबाने का काम किया । उसके द्वारा संवैधानिक जनतंत्र की राह में अनेक रोड़े खड़े किए गए। उसने 'पोलिग्नेक' को प्रधानमंत्री नियुक्त किया जो उससे भी बड़ा प्रतिक्रियावादी था । उसने पहले से चली आ रही समान नागरिक संहिता के स्थान पर शक्तिशाली अभिजात्य वर्ग को विशेषाधिकार से विभूषित किया। उसके इस कदम को उदारवादियों ने चुनौती समझा । उन्हें यह भी संदेह हुआ कि क्रांति के विरुद्ध यह एक षड्यंत्र है। फ्रांस की संसद एवं उदारवादियों ने पोलिग्ने की कड़ी भर्तसना की। चार्ल्स दसवें ने इस विरोध की प्रतिक्रिया में 25 जुलाई, 1830 ई० को चार अध्यादेशों द्वारा उदारवादियों को तंग करने का प्रयास किया। इन अध्यादेशों का पेरिस में स्थान-स्थान पर विरोध होने लगा। इसके चलते 28 जून, 1830 ई. में फ्रांस में गृह युद्ध आरम्भ हो गया । वास्तव में यही जुलाई 1830 की क्रांति थी । क्रांति सफल हुई । फलतः चार्ल्स दसवें को फ्रांस की गद्दी छोड़ इंग्लैंड भागना पड़ा। इस प्रकार फ्रांस से बूर्वो वंश का शासन समाप्त हो गया । अब आर्लेयेस वंश को गद्दी सौंपी गई। इस वंश के शासक लुई फिलिप ने उदारवादियों, पत्रकारों तथा पेरिस की जनता के समर्थन से सत्ता प्राप्त की थी, अतः उसकी नीतियाँ उदारवादी तथा संवैधानिक गणतंत्र के पक्ष में थीं । 
प्रश्न 5. यूनानी स्वतंत्रता आन्दोलन का संक्षिप्त विवरण दें ।
उत्तर – फ्रांसीसी क्रांति से प्रभावित होकर यूनानियों में राष्ट्रीयता की भावना जग गई । कारण कि एक तो सभी यूनानियों का धर्म और उनकी जाति-संस्कृति एक थी, दूसरे कि प्राचीन यूनान सभ्यता, संस्कृति, साहित्य, विचार, दर्शन, कला, चिकित्सा विज्ञान आदि के क्षेत्र में न केवल यूरोप का बल्कि पूरे विश्व का अगुआ था। इसके बावजूद आज वह उस्मानिया साम्राज्य के एक अंग के रूप में जाना जाता था । फलतः तुर्की के विरुद्ध आन्दोलन आरम्भ हो गया । आन्दोलन में मध्य वर्ग का सहयोग मिलने लगा जो काफी शक्तिशाली था ।
यूनान की स्थिति तब और विकट हो गई, जब तुर्की ने यूनानी आन्दोलनकारियों को एक-एक कर दबाना शुरू कर दिया । 1821 ई. में यूनानियों ने विद्रोह शुरू कर दिया । रूस तो यूनानियों के पक्ष में था, लेकिन आस्ट्रिया के दबाव के कारण वह खुलकर सामने नहीं आ रहा था। लेकिन जार निकोलस खुलकर यूनान का समर्थन करने लगा । एक प्रकार से सम्पूर्ण यूरोप से यूनान को समर्थन मिलने लगा । यूनान और तुर्की में युद्ध छिड़ गया | अनेक देश यूनानियों के पक्ष में आए, किन्तु तुर्की के पक्ष में केवल मिस्र ही सामने आया । युद्ध में यूनानी विजयी रहे । तुर्की और मिस्र दोनों हार गए । इसके बावजूद यूनान को पूर्ण स्वतंत्रता नहीं मिली। वह पूर्ण स्वतंत्र तब हुआ जब 1832 ई. में उसे एक स्वतंत्र राष्ट्र मान लिया गया ।

Post a Comment

0 Comments