Telegram Join Whatsapp (1) Whatsapp (2)

आप दुबलिकेट वेबसाइट से बचे दुनिया का एकमात्र वेबसाइट यही है SM Study Point और ये आपको पैसे पेमेंट करने को कभी नहीं बोलते है क्योंकि यहाँ सब के सब सामग्री फ्री में उपलब्ध कराया जाता है धन्यवाद !

Class 9th NCERT History Chapter 3 French Revolution | क्लास 9वीं इतिहास की दुनिया अध्याय 3 फ्रांस की क्रांति | लघु उत्तरीय प्रश्न

Class 9th NCERT History Chapter 3 French Revolution  क्लास 9वीं इतिहास की दुनिया अध्याय 3 फ्रांस की क्रांति  लघु उत्तरीय प्रश्न

III. लघु उत्तरीय प्रश्न :
प्रश्न 1. फ्रांस की क्रांति के राजनीतिक कारण क्या थे ? 
उत्तर – फ्रांस में राजतंत्रात्मक शासन था । लुई XVI के गद्दी पर बैठने के पहले फ्रांसीसी साम्राज्य की प्रतिष्ठा काफी बढ़ी-चढ़ी थीं। लेकिन यह नया शासक निरंकुश, फिजुलखर्च और भारी अयोग्य निकला । राज महल में रानी का खर्च भी बेशुमार था । कुछ अविजात वर्ग के लोग बिना काम-धाम किए बैठे-ठाले भी वेतन उठाते थे । सप्तवर्षीय युद्ध में अमेरिकियों की मदद में काफी खर्च हो चुका था। इसकी पूर्ति के लिए जनता पर कर थोपा गया, जिसका भारी विरोध हुआ । इस प्रकार राजा की निरंकुशता चरम पर थी। 175 वर्षों तक संसद की एक भी बैठक नहीं हुई। इससे जनता नाराज हो गई ।
प्रश्न 2. फ्रांस की क्रांति के सामाजिक कारण क्या थे? 
उत्तर – फ्रांस का समाज तीन वर्गों में बँटा था। इन वर्गों को 'एस्टेट' कहा जाता था। 'एस्टेट' तीन थे: प्रथम एस्टेट में पादरी लोग आते थे। इनकी संख्या लगभग 1,30,000 थी। 'दूसरे एस्टेट' में कुलीन या अभिजात वर्ग के लोग थे । इनकी संख्या मात्र 40 लाख थी, जो 80 हजार परिवारों में बँटे थे। फ्रांस की कुल भूमि का लगभग 40 प्रतिशत भाग इन्हीं 40 लाख लोगों के अधिकार में था, जबकि ये राज्य को कोई कर भी नहीं देते थे। 'तीसरे एस्टेट' में देश के शेष लोग थे, जिनकी संख्या देश की कुल जनसंख्या का 90 प्रतिशत थी और जो सामान्यत: किसी-न-किसी छोटे-बड़े सेवा कार्य में लगे थे। इस वर्ग में कृषि मजदूर से लेकर जज़ तक आ जाते थे । सभी कर भी ये ही देते थे और सेना में भी इन्हीं को भर्ती होना पड़ता था । यह स्थित जनता के लिए असहनीय थी। इसी सामाजिक असमानता ने फ्रांस में क्रांति का मार्ग प्रशस्त कर दिया ।
प्रश्न 3. फ्रांस की क्रांति के आर्थिक कारणों पर प्रकाश डालें ।
उत्तर – विदेशी युद्धों तथा राजघराने और सरकारी मुलाजिमों की फिजूलखर्ची ने फ्रांस की आर्थिक स्थिति डाँवाडोल कर दी थी। ठेकेदार लोग भूमिकर वसूलते थे, जिन्हें 'टैक्स - फार्मर' कहा जाता था। ये किसानों से मनमानाकर वसूलते थे और उसका एक नियत निश्चित भाग राजकोश में जमाकर शेष को अपने जेब में रख लिया करते थे । इस कारण वे धनी-से- धनी बनते जा रहे थे। किसानों को कष्टकर जीवन व्यतीत करना पड़ता था । आर्थिक रूप से वे कंगाल बने रहते थे। जैसा कि हम जानते हैं, फ्रांस की सम्पूर्ण जनसंख्या में गरीब किसानों की ही संख्या अधिक थी। केवल उन्हें राह दिखानेवालों की आवश्यकता थी, वरना ये पहले से ही राजा के विरुद्ध क्रांति के लिए तत्पर थे । नेताओं के प्रकाश में आते ही क्रांति का आरम्भ हो गयी और क्रांति ने सफलता भी प्राप्त कर ली ।
प्रश्न 4. फ्रांस की क्रांति के बौद्धिक कारणों का उल्लेख करें ।
उत्तर – कहा जाता है कि फ्रांस की क्रांति वास्तव में मध्यवर्गीय बुद्धिजीवियों की क्रांति थी, जिनमें विचारक, चिंतक, लेखक, शिक्षक, प्रोफेसर, डॉक्टर, वकील जैसे लोग सम्मिलित थे । इस कारण इस क्रांति को बौद्धिक आंदोलन भी कहा गया है । लेखकों में प्रमुख थे 'मांटेस्क्यू, वाल्टेयर और रूसो । मांटेस्क्यू ने 'विधि की आत्मा' नाम से पुस्तक लिखी, जिसमें सरकार के तीनों अंगों-विधायिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका को अलग रखने की बात कही गई । इसी को पृथक्करण का सिद्धांत कहा गया | वाल्टेयर यद्यपि जनतंत्र में विश्वास नहीं रखता था, फिर भी उसने चर्च, समाज और राजतंत्र के. दोषों का पर्दाफाश किया । वह चाहता था कि राजतंत्र रहे, लेकिन वह जनता के हित में काम करे । रूसो पूर्ण परिवर्तन का समर्थक था । उसने 'सामाजिक संविदा' नामक पुस्तक लिखी, जिसके माध्यम से उसने जनता को संप्रभू माना । दिदरो ने 'ज्ञानकोष' लिखा । क्वेजनो एवं तुर्गो जैसे अर्थशास्त्रियों ने आर्थिक शोषण की आलोचना की तथा मुक्त व्यापार का समर्थन किया । उद्योग व्यापार में वह राज्य के हस्तक्षेप का विरोधी था ।
प्रश्न 5. “लैटर्स-डी - कैचेट" से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – तत्कालीन फ्रांस में किसी प्रकार की स्वतंत्रता नहीं थी । जनता के हित की कोई भी बात बोलने की मनाही थी । भाषण, लेखन, विचार की अभिव्यक्ति, धार्मिक स्वतंत्रता आदि सभी पर प्रतिबंध था । राज़ा के मुँह से कोई भी निकली बात को ही कानून माना जाता था । कैथोलिक धर्म वहाँ का राजधर्म था । इस कारण प्रोटेस्टेंट धर्म माननेवालों को सताया जाता था। राजा या तो स्वयं या अपने कारिन्दों से किसी को भी बिना कारण बताए गिरफ्तार कर या करवा सकता था । बिना अभियोग बताए ऐसे ही गिरफ्तारी वारंट को फ्रांस में लेटर्स- द - कैचेट (Lettes-de-cachet) कहा जाता था।
प्रश्न 6. अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम का फ्रांसीसी क्रांति पर क्या प्रभाव पड़ा ? 
उत्तर – अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम का फ्रांस की क्रांति पर यह प्रभाव पड़ा कि लिफायते के नेतृत्व में फ्रांसीसी सेना ने भी इंग्लैंड के विरुद्ध और अमेरिका के पक्ष में युद्ध किया था। जैसा कि हम जानते हैं कि सेना में तृतीय एस्टेट के लोगों को ही भर्ती किया जाता था। जब ये सैनिक फ्रांस लौटे तो अपने दिल में स्वतंत्रता का भाव भी लिए हुए थे। ये सैनिक आम जन को राजा के विरुद्ध लड़ने और स्वतंत्रता प्राप्त करने का प्रयास करने लगे । अमेरिका के गणतांत्रिक शासन ने फ्रांस के लिए प्रेरणा स्रोत का काम किया । फ्रांस की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी। इसका कारण अमेरीकियों की मदद युद्ध करना भी था । अपनी आर्थिक स्थिति को संभालना फ्रांस के राजा के लिए कठिन हो गया । क्रांति पर इसका भी काफी प्रभाव पड़ा । 
प्रश्न 7. 'मानव और नागरिकों के अधिकार' से आप क्या समझते हैं ? 
उत्तर – 'मानव' से तात्पर्य है विश्व का कोई भी व्यक्ति जबकि 'नागरिक' का अर्थ हैं देश विशेष में रहनेवाला उस राज्य का सदस्य | 27 अगस्त, 1789 में फ्रांस के नेशनल एसेम्बली ने जो अधिनियम बनाया, उसमें 'मानव और नागरिकों के अधिकार' (The Declaration of the rights of Man and Citizen) को स्वीकार कर लिया गया। इस अधिकार से व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का मार्ग प्रशस्त हो गया। प्रत्येक व्यक्ति को अपने विचार प्रकट करने, सभा करने, लिखने के साथ ही अपनी इच्छा के अनुसार धर्म पालन करने का अधिकार मिल गया । प्रेस स्वतंत्र हो गए । 'लेटर्स-द-कैचेट' निरर्थक हो गया । अब बिना कारण बताए किसी को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता था । किसी की जमीन सरकारी कार्य हेतु बिना वाजिब मुआवजा दिये नहीं ली जा सकती थी। कर का भार अब सब पर समान रूप से निश्चित किया गया । सभी को निजी सम्पत्ति रखने का अधिकार मिल गया ।
प्रश्न 8. फ्रांस की क्रांति का इंग्लैंड पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर – फ्रांस की क्रांति का प्रभाव सिर्फ फ्रांस पर ही नहीं, बल्कि यूरोप के अन्य देशों पर भी पड़ा । प्रमुख प्रभावित होनेवाला देश इंग्लैंड था । इंग्लैंड ने ही नेपोलियन के विजय अभियान पर अंकुश लगाया था और उसे हराया था । फ्रांस की क्रांति के बाद इंग्लैंड की जनता सामंतों के विरुद्ध खड़ी हो गई । यही कारण था कि 1832 ई. में वहाँ ‘संसदीय सुधारः अधिनियम' पारित करना पड़ा । इस अधिनियम के लागू होने से जमींदारों की शक्ति लगभग समाप्त हो गई। यह जनता के लिए सुधारों का एक नया मार्ग साबित हुआ। आगे चलकर ब्रिटेन में जो औद्योगिक क्रांति हुई, उसमें फ्रांस की राज क्रांति का भी बड़ा हाथ था । औद्योगिक क्रांति के विकास में उस क्रांति ने काफी योगदान दिया।
प्रश्न 9. “फ्रांस की क्रांति ने इटली को प्रभावित किया ।" कैसे ?
उत्तर – इटली एक ऐसा देश था, जो अनेक भागों में बँटा हुआ था । क्रांति के बाद नेपोलियन ने जो अपनी सेना का गठन किया उसमें सभी भागों के सैनिक लिए गए । नेपोलियन ने युद्ध की तैयारी कर पड़ोसी देशों पर हमला करने लगा और एक-एककर उन जीते गए देशों पर इटली का झंडा फहराने लगा । चूँकि सेना में इटली के सभी भागों के सैनिक थे, अतः इन अभियानों में उनमें आपसी एकता का सूत्रपात हुआ और इटली को संगठित रूप देने में सहायता मिली । फलतः ‘इटली राज्य' की स्थापना हुई, जबकि इसके पहले एकता की भावना नहीं थी। सभी भागों के सैनिकों का एक साथ रहना, एक साथ लड़ना और सम्मिलित रूप से वियज प्राप्त करना — इन बातों से उनमें राष्ट्रीय एकता का विकास हुआ और आगे चलकर इटली के एकीकरण का मार्ग प्रशस्त हुआ।
प्रश्न 10. फ्रांस की क्रांति से जर्मनी कैसे प्रभावित हुआ ?
उत्तर – फ्रांस की क्रांति के समय जर्मनी छोटे-छोटे तीन सौ राज्यों में बँटा हुआ था। क्रांति के पश्चात जब नेपोलियन का विजय अभियान शुरू हुआ तो उसने उन तीन सौ राज्यों को मात्र अड़तीस राज्यों में समेट लिया । फ्रांस की क्रांति के बाद वहाँ जो 'स्वतंत्रता', 'समता' एवं बंधुत्व की भावना का विकास हुआ था, उसे जर्मनी ने भी अपना लिया । जर्मनी में भी स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व की भावना का तेजी से विकास हुआ। उनमें फ्रांस की देखा-देखी राष्ट्रीय भावना का भी विकास हुआ । राष्ट्रीय विकास की भावना मजबूत होते ही जर्मनी का एकीकरण करना आसान हो गया । 

Post a Comment

0 Comments