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Bihar Board Class 9th History Chapter 7 | Long Question Answer | NCERT Class 9 la itihas ki duniya Solution Chapter 7 | बिहार बोर्ड क्लास 9वीं इतिहास अध्याय 7 | शांति के प्रयास | IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

Bihar Board Class 9th History Chapter 7  Long Question Answer  NCERT Class 9 la itihas ki duniya Solution Chapter 7  बिहार बोर्ड क्लास 9वीं इतिहास अध्याय 7  शांति के प्रयास  IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. राष्ट्रसंघ की स्थापना की परिस्थतियों का वर्णन करें ।
उत्तर – प्रथम विश्वयुद्ध अबतक के हुए युद्धों में भयानक युद्ध था। कहने को तो मात्र दो ही गुट – त्रिगुट (ट्रिपुल एलायंस) तथा त्रिराष्ट्रीय संधि (ट्रिपुल एतांत) — युद्धरत थे, लेकिन इनके अन्य सहयोगी भी युद्ध में शामिल थे। युद्ध लम्बा खींचा और अंततः त्रिगुट (ट्रिपुल एलायंस) के देश बुरी तरह हार गए । पेरिस की शांति संधि और बाद में हुई वर्साय संधि के द्वारा हारे हुए देशों पर भारी पाबंदी लगाई गई। उनके द्वारा जो क्षेत्र पहले से भी उपनिवेश बना लिए थे. सब छिन लिए गए, तत्काल जीते हुए क्षेत्रों से तो उन्हें वंचित किया ही गया। इससे उनमें भारी क्षोभ था। शक्तिशाली देश यह समझते थे कि समय पाकर ये पुनः सिर उठा सकते हैं । अतः उन पर पाबन्दी तो लगाना ही था, परस्पर भी कोई खटपट नहीं हो, इसके लिए विश्व शांति स्थापनार्थ एक विश्व संस्था की आवश्यकता थी। अतः युद्ध काल से ही वे इसकी स्थापना के लिए सोच रहे थे, लेकिन तनाव भरे युद्धकाल में यह संभव नहीं था। अतः युद्धोपरांत 1919 ई॰ में पेरिस में हुए शांति सम्मेलन के पश्चात राष्ट्रसंघ की स्थापना पर विचार किया गया । अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति वुड्रो विल्सन ने अपने 14 सूत्री प्रस्ताव रखें, जिसके मद्देनजर 10 जून, 1920 ई. को राष्ट्रसंघ की स्थापना हो गई। लेकिन प्रारम्भ से ही इतना प्रयास करते रहने के बावजूद स्वयं अमेरिका उसका सदस्य नहीं बना। रूस में कम्युनिस्ट आन्दोलन सफल हो गया था अतः कम्युनिस्टों को महत्व नहीं मिले, इस कारण रूस को भी राष्ट्रसंघ का सदस्य नहीं बनाया गया। दूसरी ओर विजित देशों को भी उससे दूर ही रखा गया। इस प्रकार हम देखते हैं कि राष्ट्रसंघ की स्थापना उन परिस्थितियों के बीच हुई, जब सभी देशों में अविश्वास और संदेह की परिस्थिति थी और सभी एक-दूसरे के प्रति सशंकित थे
प्रश्न 2. राष्ट्रसंघ किन कारणों से असफल रहा? वर्णन करें । 
उत्तर – राष्ट्रसंघ की स्थापना के उद्देश्य अल्पकाल में ही धूल-धुसरित हो गए । अपनी स्थापना काल के मात्र 20 वर्षों में ही राष्ट्रसंघ ने दम तोड़ दिया।
राष्ट्रसंघ की असफलता के अनेक कारण थे । प्रमुख कारण तो यह था कि आरम्भ से ही कुछ शक्तिशाली और बड़े राष्ट्रों को इसकी सदस्यता से वंचित रखा गया या वे स्वयं इसकी सदस्यता स्वीकार करने से मुकर गए । हारे हुए देशों को आरंभ में इसका सदस्य नहीं बनाया गया। बाद में 1925 में जर्मनी को शामिल किया तो गया, लेकिन वह सहयोग के स्थान पर असहयोग के लिए ही राष्ट्रसंघ में आया था। पूरा जर्मन राष्ट्र वर्साय की संधि से असंतुष्ट तथा अपने को अपमानित महसूस कर रहा था । इसका परिणाम यह हुआ कि जब हिटलर ने अपने को शक्तिशाली बना लिया तो वह बार-बार राष्ट्रसंघ की अवहेलना करने लगा। जब उसपर अधिक दबाव डाला गया तो उसने उसकी सदस्यता से ही त्यागपत्र दे दिया । वास्तव में उसकी इच्छा छिने लिए गए और क्षेत्रों को पुनः प्राप्त कर लेना तथा अपने उपनिवेश बढ़ाना था । एक तो वह अपने सैनिक शक्ति बढ़ाता रहा, जबकि वर्साय संधि के मुताबिक यह उसके लिए वर्जित घोषित किया गया था, उसने किसी का परवाह किए बिना सैनिक शक्ति बढ़ता रहा। इंग्लैंड और फ्रांस उसकी ओर से आँखें मूँदे रहे, फलतः राष्ट्रसंघ ने भी चुप लगा जाने में ही अपना कल्याण समझा । हिटलर अपने हर कदम में सफल होते जा रहा था और कहीं से कोई प्रतिरोध नहीं देख उसका हौसला बढ़ता ही गया । आर्थिक मंदी की मार से सभी देश अपने आंतरिक मामलों को सम्भालने में ही लगे थे, जबकि जर्मन साम्राज्य विस्तार में लगा था। ऐसी स्थिति में राष्ट्रसंघ मूक दर्शक बना रहा और इसके अधिकारी भी अब उसके कामों की ओर से उदासीन हो गए। इसका फल हुआ कि राष्ट्रसंघ निरर्थक होते-होते असफल होकर समाप्त हो गया ।
प्रश्न 3. संयुक्त राष्ट्रसंघ के उद्देश्यों एवं सिद्धांतों की प्रासंगिकता बतावें । 
उत्तर- संयुक्त राष्ट्रसंघ के उद्देश्यों एवं सिद्धांतों की प्रासंगिकता निम्नांकित हो सकती है। बल्कि यदि हम यह कहें कि संयुक्त राष्ट्रसंघ की प्रासंगिकता उसके उद्देश्यों और सिद्धांतों में ही निहित है तो कोई अत्युक्ति नहीं होगी।
संयुक्त राष्ट्रसंघ का प्रथम उद्देश्य है विश्व में देशों के बीच शांति बनी रहे, कोई देश किसी देश पर आक्रमण नहीं करे और यदि दो या दो से अधिक देशों के बीच कोई विवाद उत्पन्न होता है तो उसका शांतिपूर्ण ढंग से निबटारा करा दिया जाय ।

  उद्देश्य :  

आत्मनिर्णय और समानता का सिद्धांत अपनाया जाय तथा संसार के देशों के बीच मैत्रीपूर्ण सम्बंध स्थापित करा दिया जाय और ऐसा प्रयास किया जाय कि वह मैत्री सुदृढ़ रहे।
विभिन्न देशों की आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक समस्याओं का समाधान किया जाय तथा अंतर्राष्ट्रीय सहयोग प्राप्त कर मानवीय अधिकारों को अक्षुण्ण बनाये रखा जाय ।
संयुक्त राष्ट्रसंघ एक ऐसी केन्द्रीय संस्था बने जो देशों के उद्देश्यों की प्राप्ति की कार्यवाही में तालमेल और सामंजस्य स्थापित कराने में सहायक सिद्ध होता रहे । 

  सिद्धान्त :  

देशों के बीच समानता का सिद्धांत अपनाया जाय । प्रत्येक सदस्य देश संयुक्त राष्ट्रसंघ के घोषणापत्र (Charter) का स्वागत करे और उसको सम्मान दे। सभी देश परस्पर के झगड़ों या विवादों का निबटारा शांतिपूर्ण ढंग से कर लें । संयुक्त राष्ट्रसंघ या इसकी किसी संस्था के सदस्य अन्य देशों की स्वतंत्रता और प्रादेशिक अखंडता को आक्रमणों के द्वारा विनष्ट नहीं करें । संयुक्त राष्ट्रसंघ के घोषणापत्र की अवहेलना करनेवाले देश के साथ कोई देश कोई सम्बंघ नहीं रखेंगे । यदि कोई सदस्य देश शांति भंग करने की कोशिश करेगा तो संघ उसके विरुद्ध कार्यवाही करेगा । संयुक्त राष्ट्रसंघ किसी भी देश के आंतरिक मामले में न हस्तक्षेप करेगा और न किसी देश को करने देगा । करें ।
प्रश्न 4. संयुक्त राष्ट्रसंघ के प्रमुख अंगों की भूमिका का वर्णन
उत्तर – संयुक्त राष्ट्रसंघ के प्रमुख अंगों की भूमिका निम्नलिखित हैं:
(i) आम सभा – आम सभा संयुक्त राष्ट्रसंघ का प्रमुख अंग है। इसी सभा में किसी समस्या को रखा जाता है तथा वाद-विवाद के पश्चात उसे स्वीकृत या अस्वीकृत किया जाता है। संयुक्त राष्ट्रसंघ के सभी अंगों का निर्वाचन यही सभा करती है ।
(ii) सुरक्षा परिषद् – सुरक्षा परिषद की भूमिका यह है कि यह दो या दो से अधिक देशों में विवादों को रोकने का प्रयास करती है । इसके 5 सदस्य स्थायी हैं तथा 10 सदस्य अस्थायी हैं। स्थायी सदस्यों को किसी भी निर्णय पर रोक लगा देने (वीटो) का अधिकार है।
(iii) आर्थिक एवं सामाजिक परिषद- आर्थिक और सामाजिक परिषद संयुक्त राष्ट्रसंघ का एक महत्वपूर्ण अंग है। यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और स्वास्थ्य से सम्बद्ध मामलों की देखभाल करती है । इस अंग के अन्तर्गत यूनीसेफ, यूनेस्को, मानवाधिकार आयोग, अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन आदि समूह काम करते हैं।
(iv) न्यास परिषद - न्यास परिषद संयुक्त राष्ट्रसंघ का ऐसा अंग है, जो नया-नया स्वतंत्र देश, जो अपना शासन स्वयं नहीं चला सकते, जैसे देश का उस समय तक शासन सम्भालता है, जबतक कि वे शासन चलाने के योग्य नहीं हो जाते। यह काम वह किसी देश के माध्यम से करती है। न्यास परिषद के चार उद्देश्य निश्चित किए गए हैं : (क) शांति और सुरक्षा को बढ़ाना, (ख) स्वशासन के क्रमिक विकास में सहायता करना, (ग) मानवीय अधिकारों को सुरक्षित करना तथा (घ) महत्वपूर्ण मामलों में समानता का व्यवहार करना ।
(v) अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय–अन्तराष्ट्रीय न्यायालय संयुक्त राष्ट्र के तहत एक ऐसा न्यायिक और कानूनी अंग है जो अंतराष्ट्रीय विवादों का निर्णय समानता के आधार पर करता है। इसके निर्णय को मानने के लिए इसके सभी सदस्य देश बाध्य हैं। इसका मुख्यालय नीदरलैंड की राजधानी हेग में है ।
(vi) सचिवालय–सचिवालय संयुक्त राष्ट्रसंघ का कार्यालय है । महासचिव इसका प्रधान होता है। विभिन्न देशों के लोगों को कर्मचारी के रूप में प्रतिनिधित्व दिया जाता है। संघ के सभी महत्वपूर्ण कागजात यहीं रहते हैं ।
प्रश्न 5. संयुक्त राष्ट्रसंघ की महत्ता को रेखांकित करें ।
उत्तर – संयुक्त राष्ट्रसंघ की महत्ता को उसकी सफलताओं पर दृष्टिपात कर आंका जा सकता है। इसकी स्थापना के समय से ही इसके संस्थापक देशों के साथ ही सभी सदस्य देश इस बात से सशंकित थे कि इस संस्था की भी कहीं वही दशा न हो जाय जो 'राष्ट्रसंघ' का हुआ था। अतः इसके स्थायित्व को लेकर सभी देश प्रयत्नशील थे । संयुक्त राष्ट्रसंघ अपनी स्थापना से लेकर आज तक की तारीख तक विश्व को किसी युद्ध से बचाकर रखा है : यह इसकी खास महत्ता है। बड़े
संयुक्त राष्ट्रसंघ की महत्ता को निम्नलिखित बातें सिद्ध करती हैं : एशिया के अनेक देशों के बीच बढ़ रहे तनावों को कम करने या उन्हें समाप्त कराने में संयुक्त राष्ट्रसंघ ने महत्वपूर्ण कार्य किया। ईरान में अवैध रूप से रह रहे रूसी सैनिकों को हटने के लिए 1946 में इसने बाध्य कर दिया। रूस को वहाँ से अपने सैनिकों को हटाना पड़ा । उत्तर-दक्षिण कोरिया में वर्षों से चल रहे युद्ध को यह 1953 में बन्द कराने में सफल रहा। इसने 1956 में स्वेज नहर समस्या को सुलझाकर एक बड़े महत्व का काम किया था। स्वेज नहर समस्या ने युद्ध की स्थिति ला दी थी। फ्रांस तथा इंग्लैंड मिस्र द्वारा नहर के राष्ट्रीयकरण से मर्माहत हो गए थे और युद्ध पर उतारु थे। लेकिन संयुक्त राष्ट्रसंघ के बीच-बचाव ने समस्या का समाधान निकाल लिया। लेबनान पर जब सकंट की स्थिति उत्पन्न हो गई तो संयुक्त राष्ट्र ने अपना दल भेजकर लेबनान को बचा लिया । मध्य एशिया में फिलिस्तीन-इजरायल का मुद्दा विकट रूप धारण करता जा रहा था, लेकिन संयुक्त राष्ट्रसंघ के प्रयास से वहाँ शांति स्थापित हो सकी। बावजूद इसके आज भी वहाँ दोनों गुट कभी-न-कभी भिड़ ही जाते हैं, लेकिन युद्ध बड़ा रूप नहीं ले पाता । 1956 में भारत-पाक युद्ध बन्द कराने में संयुक्त राष्ट्रसंघ की महत्वपूर्ण भूमिका रही। 1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता के प्रश्न पर पाकिस्तान ने जब भारत पर आक्रमण कर दिया तो संयुक्त राष्ट्रसंघ ने युद्ध बंद कराने और बांग्लादेश को आजाद कराने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।

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