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Class 9th NCERT Democratic Politics Chapter 3 | Class 9 BTC Political Science | Constitution Making | क्लास 9वीं लोकतांत्रिक राजनीति अध्याय 3 | संविधान निर्माण | सभी प्रश्नों के उत्तर

Class 9th NCERT Democratic Politics Chapter 3  Class 9 BTC Political Science  Constitution Making  क्लास 9वीं लोकतांत्रिक राजनीति अध्याय 3 संविधान निर्माण  सभी प्रश्नों के उत्तर
प्रश्नावली के प्रश्न तथा उनके उत्तर
प्रश्न 1. नीचे कुछ गलत वाक्य हैं। हर एक में की गई गलती पहचानें और इस अध्याय के आधार पर उसको ठीक करके लिखें ।
(क) स्वतंत्रता के बाद देश लोकतांत्रिक होगा या नहीं, इस विषय पर स्वतंत्रता आंदालेन के नेताओं ने अपना दिमाग खुला रखा था।
उत्तर – स्वतंत्रता प्राप्ति के पहले ही, जब संघर्ष चल रहा था, उसी समय से देश लोकतांत्रिक होगा या नहीं, इस विषय पर आंदोलन के नेताओं का दिमाग खुला हुआ था ।
(ख) भारतीय संविधान सभा के सभी सदस्य संविधान में कही गई हरेक बात पर सहमत थे ।
उत्तर – भारतीय संविधान सभा के सभी सदस्य संविधान में कही गई हरेक बात पर सहमत नहीं थे, कुछ असहमत भी थे लेकिन वह बहुमत से पारित हुआ, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया की आसान विधि थी ।
(ग) जिन देशों में संविधान है वहाँ लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था ही होगी । 
उत्तर – यह कोई निश्चित नहीं कि जिन देशों में संविधान है, वहाँ लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था ही होगी। उदाहरण के लिए रूस या चीन ।
(घ) संविधान देश का सर्वोच्च कानून होता है इसलिए इसमें बदलाव नहीं किया जा सकता ।
उत्तर – संविधान देश का सर्वोच्च कानून होता है, फिर भी समयानुसार आवश्यकता देख उसमें बदलाव भी किया जा सकता है। लेकिन बदलाव की प्रक्रिया आसान नहीं होती ।
प्रश्न 2. दक्षिण अफ्रीका का लोकतांत्रिक संविधान बनाने में इनमें कौन-सा टकराव सबसे महत्वपूर्ण था :
(क) दक्षिण अफ्रीका और उसके पड़ोसी देशों का
(ख) स्त्रियों और पुरुषों का
(ग) गोरे अल्पसंख्यक और अश्वेत बहुसंख्यकों का
(घ) रंगीन चमड़ी वाले बहुसंख्यकों और अश्वेत अल्पसंख्यकों का 
उत्तर : (घ)
प्रश्न 3. लोकतांत्रिक संविधान मे कौन-सा प्रावधान नहीं रहता ? 
(क) शासन प्रमुख के अधिकार 
(ख) शासन प्रमुख का नाम
(ग) विधायिका के अधिकार 
(घ) देश का नाम
उत्तर : (ख)  
प्रश्न 4. संविधान निर्माण में इन नेताओं और उनकी भूमिका में मेल बैठाएँ : 
(क) मोतीलाल नेहरू       (1) संविधान सभा के अध्यक्ष 
(ख) बी. आर. अम्बेडकर (2) संविधान सभा की सदस्य 
(ग) राजेन्द्र प्रसाद         (3) प्रारूप कमेटी के अध्यक्ष
(घ) सरोजनी नायडू      (4) 1928 में भारत का संविधान बनाया 
उत्तर : (क) → (4), (ख) → (3), (ग) → (1), (घ)→ (2).  
प्रश्न 5. जवाहरलाल नेहरू के नियति के साथ साक्षात्कार वाले भाषण के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों का जवाब दें :
(क) नेहरू ने क्यों कहा कि भारत का भविष्य सुस्ताने और आराम करने का नहीं है ?
उत्तर - नेहरू जी जल्दी से जल्दी भारत को विकसित देश बनाना चाहते थे, इसीलिए उन्होंने कहा कि भारत का भविष्य सुस्ताने और आराम करने का नहीं है।
(ख) नए भारत के सपने किस तरह विश्व से जुड़े हैं ?
उत्तर – नए भारत के सपने विश्व के साथ अनेक तरह से जुड़े हैं, चूँकि नेहरूजी विश्व बंधुत्व के समर्थक थे । 
(ग) वे संविधान निर्माताओं से क्या शपथ चाहते थे ?
उत्तर – वे संविधान निर्माताओं से यह शपथ चाहते थे कि संविधान तो बना दिया, लेकिन वे शपथ लें कि उसी के अनुरूप आचरण भी करेंगे ।  
प्रश्न 6. हमारे संविधान को दिशा देने वाले ये कुछ मूल्य और उनके अर्थ हैं। इन्हें आपस में मिलाकर दोबारा लिखिए ।
(क) संप्रभु       (1) सरकार किसी धर्म के निदेशों के अनुसार काम नहीं क़रेगी ।
(ख) गणतंत्र     (2) फैसले लेने का सर्वोच्च अधिकार लोगों के पास है। 
(ग) बंधुत्व       (3) शासन प्रमुख एक चुना हुआ व्यक्ति है । 
(घ) धर्मनिरपेक्ष (4) लोगों को आपस में परिवार की तरह रहना चाहिए । 
उत्तर : (क) → (2), (ख) →(3), (ग) →(4), (घ) →(5)। 
प्रश्न 7. कुछ दिन पहले नेपाल से आपके एक मित्र ने वहाँ की राजनैतिक स्थिति के बारे में आपको पत्र लिखा था। वहाँ अनेक राजनैतिक पार्टियाँ राजा के शासन का विरोध कर रही थीं। उनमें से कुछ का कहना था कि राजा द्वारा दिए गए मौजूदा संविधान में ही संशोधन करके चुने हुए प्रतिनिधियों को ज्यादा अधिकार दिये जा सकते हैं । अन्य पार्टियाँ नया गणतांत्रिक संविधान बनाने के लिए नई संविधान सभा गठित करने की माँग कर रही थी। इस विषय में अपनी राय बताते अपने मित्र को पत्र लिखें ।
उत्तर :
रोड नं. 2,
राजेन्द्र नगर
पटना (बिहार)
भारत
प्रिय मित्र देउबा !
नमस्कार ।
तुम्हारा पत्र मिला । जो बातें तुमने लिखी है, वे मैं पहले से ही जानता था। भारत के अखबारों में नेपाल में घट रही दिन-प्रतिदिन की घटनाओं के संबंध में समाचार छपते ही रहते हैं। अब समय बदल गया है। बदले हालात में बहुत पहले राजा के रहते हुए बी० पी० कोइराला के नेतृत्व में शासन का पूरा भार संसद को सौंप दिया गया था । यह ब्रिटेन का नकल था। लेकिन नकल, नकल ही होता है। बीच-बीच में राजा का दखल जारी रहा । संसद भंग होती रही। कुछ दिन बिना संसद के राजा द्वारा शासन चलता रहा और पुनः संसद का गठन होता रहा । बार-बार यह प्रक्रिया दोहराई जाती रही । ब्रिटेन के जैसा नेपाल में स्थिरता नहीं रही । यही कारण है कि वहाँ के लोग राजा के हटा देने की ही बात करने लगे हैं। भारी आन्दोलन के बाद राजा को अपनी गद्दी छोड़नी पड़ी है । अब शासन का सारा अधिकार संसद के हाथ में है। प्राचीन राजमहल पर भी संसद का कब्जा है । अब राजा को एक छोटे मकान में एक नागरिक की हैसियत से रहना पड़ रहा है।
मित्र ! यही होना था । जो होना था, वह हो गया । पूरा अपने अधिकार में रखने की लालसा ने राजा को कहीं का नहीं छोड़ा। अब वहाँ की स्थिति कैसी है, लौटती डाक भेजते समय लिखना ।
दिनांक : 4.4.2009
तुम्हारा अभिन्न अनिल
प्रश्न 8. भारत के लोकतंत्र के स्वरूप में विकास के प्रमुख कारणों के बारे में कुछ अलग-अलग विचार इस प्रकार हैं । आप इनमें से हर कथन को भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए कितना महत्वपूर्ण कारण मानते हैं ?
(क) अंग्रेज शासकों ने भारत को उपहार के रूप में लोकतांत्रिक व्यवस्था दी । हमने ब्रिटिश हुकूमत के समय बनी प्रांतीय एसेम्बलियों के जरिए लोकतांत्रिक व्यवस्था में काम करने का प्रशिक्षण पाया ।
उत्तर – यह बिल्कुल सही है कि अंग्रेजों ने भारत को उपहार के रूप में लोकतांत्रिक व्यवस्था दी। कारण कि ब्रिटेन में बहुत पहले से संसदीय व्यवस्था चलती रही है, राजा नाम के लिए है, वरना सारा अधिकार संसद के अधीन है। भारत के शासन के लिए भी ब्रिटेन की संसद में एक भारत मंत्री था, जो भारतीय शासन की देख-रेख करता था। 1937 में भारतीयों को प्रांतीय एसेम्बलियों के माध्यम से शासन करने का मौका मिला। इसके पहले भी स्थानीय निकायों में भारतीय प्रतिनिधि शासन चलाते थे । इन सबसे भारतीयों को लोकतांत्रिक व्यवस्था में काम करने का प्रशिक्षण मिला ।
(ख) हमारे स्वतंत्रता संग्राम ने औपनिवेशिक शोषण और भारतीय लोगों को तरहतरह की आजादी न दिए जाने का विरोध किया। ऐसे में स्वतंत्र भारत को लोकतांत्रिक होना ही था । "
उत्तर – स्वतंत्रता संग्राम के समय से ही औपनिवेशिक शासन से छुटकारा मिलने के पश्चात नेताओं ने निश्यच किया था कि भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था ही कायम की जाएगी । अंग्रेज जितना ही आन्दोलनों को विरोध करते वह उतना ही तेज होता जाता था । इस प्रकार यह निश्चित था कि स्वतंत्र भारत को लोकतंत्र होना ही था ।
(ग) हमारे राष्ट्रवादी नेताओं की आस्था लोकतंत्र में थी । अनेक नव स्वतंत्र राष्ट्रों में लोकतंत्र का न आना हमारे नेताओं की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है।
उत्तर – भारत के राष्ट्रवादी नेताओं ने दृढ़ संकल्प कर रखा था कि फिरंगियों को भगाने के बाद भारत में लोकतंत्र को ही स्थापित किया जाएगा और वह हुआ भी । लेकिन भारत के ही साथ स्वतंत्र देशों में लोकतंत्र सही ढंग से स्थापित नहीं हो सका। इससे पता चलता है कि हमारे नेताओं की महत्वपूर्ण भूमिका अवश्य ही सराहनीय थी ।
प्रश्न 9. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए । क्या आप उनसे सहमत हैं ? अपने कारण बताइए ।
(क) संविधान के नियमों की हैसियत किसी भी अन्य कानून के बराबर है। 
उत्तर - संविधान के नियमों की हैसियत किसी भी अन्य कानून के बराबर ही नहीं, बल्कि कोई भी कानून संविधान के नियमों के तहत ही बनते हैं। इस कारण संविधान बराबरी का नहीं, बल्कि काफी महत्व का है।
(ख) संविधान बताता है कि शासन व्यवस्था के विविध अंगों का गठन किस तरह होगा।
उत्तर – हाँ, मैं इससे सहमत हूँ कि संविधान बताता है कि "शासन-व्यवस्था के विभिन्न अंगों का गठन किस तरह होगा ।"
(ग) नागरिकों के अधिकार और सरकार की सत्ता की सीमाओं का उल्लेख भी संविधान मे स्पष्ट रूप में है ।
उत्तर—मैं इससे भी सहमत हूँ कि "नागरिकों के अधिकार और सरकार की सत्ता की सीमाओं का उल्लेख भी संविधान में स्पष्ट रूप से है । " 
(घ) संविधान संस्थाओं की चर्चा करता है, लेकिन उसके मूल्यों से उसे कुछ लेनादेना नहीं है।
उत्तर – संविधान विभिन्न सरकारी संस्थाओं की चर्चा करता है और उनके मूल्यों की सीमा का निर्धारण भी करता है। अतः यह कहना गलत होगा कि संविधान में उल्लिखित संस्थाओं के मूल्यों से कुछ लेना देना नहीं है।
प्रश्न 10. भारतीय संविधान की तुलना विश्व के दूसरे देशों के संविधान से करें । 
उत्तर – भारतीय संविधान में उन सारी अच्छी बातों को रखा गया है, जो बातें भारतीय जनता के हित में थीं । जैसे: फ्रांसीसी क्रांति के आदर्शों को हमने अपने संविधान में स्थान दिया। ब्रिटेन के संसदीय लोकतंत्र के काम-काज करने की पद्धति को जैसे का तैसे रख लिया गया । अमेरिकी संविधान में मौलिक अधिकार दिए गए थे, जो हमें अच्छे जँचे और हमने उनको अपने संविधान में स्थान दिया। रूस के समाजवादी विचारों से हमारे नेता काफी प्रभावित थे । अतः भारतीय संविधान में समाजवाद को भी जोड़ा गया । सामाजिक और आर्थिक समता पर आधारित व्यवस्था बनाने की प्रेरणा हमें रूसी संविधान से ही मिला । लेकिन हमें यह नहीं समझना चाहिए कि उपर्युक्त बातें उन संविधानों की नकल हैं। हमने उनसे मदद ली, किन्तु उनमें उल्लिखित बातें हमारी अपनी और देश की जनता के अनुकूल
भारतीय संविधान विश्व के किसी भी संविधान से बड़ा है । ब्रिटेन का संविधान जहाँ लिखित न होकर परम्परा पर चलता है, उसके विपरीत भारतीय संविधान लिखित है। विश्व के किसी भी देश के संविधान में संशोधन नहीं हो सकता लेकिन भारतीय संविधान में प्रावधान है कि समयानुकूल इसका संशोधन भी हो सकता है। हालाँकि इसकी प्रक्रिया कुछ टेढ़ी और लम्बी है ।
प्रश्न 11. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए । क्या आप उससे सहमत हैं ? अपने कारण को बताइए ।
(क) भारत एक हिन्दू बहुल राष्ट्र है, इस कारण हिन्दुओं को विशेषाधिकार प्राप्त है ।
उत्तर – बिल्कुल नहीं, किसी धर्म के लोग चाहे कितनी भी संख्या में हो, सभी को बराबरी का अधिकार मिला है। विशेषाधिकार किसी को नहीं मिला है । यह बात दूसरी है कि कुछ राजनीतिक दल भरमाने के लिए किसी जाति विशेष को छिपे तौर पर प्रलोभन देते हैं, लेकिन कोई कुछ करता नहीं ।
(ख) भारत एक गणराज्य है, क्योंकि यहाँ राष्ट्रपति का पद वंशानुगत है । 
उत्तर – भारत एक गणराज्य है, क्योंकि यहाँ समयानुकूल राष्ट्रपति का चुनाव होता है।
(ग) नागरिकों के साथ उनकी जाति, किया जा सकता । धर्म और लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं
उत्तर – इस कथन से मैं पूर्णतः सहमत हूँ ।
(घ) कानून के समक्ष सभी लोग समान है। क्या वास्तव में ऐसी स्थिति है। 
उत्तर – हाँ, वास्तव में यहाँ यही स्थिति है कि कानून के समक्ष सभी लोग समान हैं। अपवाद में कभी कुछ हो जाता होगा कि कोई अपने प्रभाव का दुरुपयोग कर लेता हो ।
प्रश्न 12. भारतीय संविधान की निम्नलिखित कौन-सी विशेषताएँ नहीं हैं? 
(क) विशालतम और व्यापक संविधान
(ख) धर्मनिरपेक्षता
(ग) मूल अधिकार तथा मौलिक कर्त्तव्य 
(घ) साम्यवादी शासन
उत्तर : (घ)
कुछ मुख्य प्रश्न तथा उनके उत्तर
( पृष्ठ 53 )
प्रश्न 1. संविधान सभा में ऐसे अनेक सदस्य थे, जो कांग्रेसी नहीं थे । 
उत्तर – हाँ, यह सही है कि संविधान सभा में अनेक सदस्य थे, जो कांग्रेसी नहीं थे इसका कारण यह था कि संविधान सभा कांग्रेसियों की संस्था नहीं थी, बल्कि भारत की प्रतिनिधि सभा थी । अतः कांग्रेसियों के अलावा हर तबके के लोगों को उसमें सदस्य रखा गया था।
प्रश्न 2. संविधान सभा में समाज के अलग-अलग समूहों का प्रतिनिधित्व था । 
उत्तर – हाँ, यह सही है कि संविधान सभा में अलग-अलग समूहों का प्रतिनिधित्व था । तभी तो वह सभा भारत का प्रतिनिधित्व करती थी।
प्रश्न 3. संविधान सभा के सदस्यों की विचारधारा भी अलग-अलग थी । 
उत्तर – हाँ, सदस्यों की विचारधारा अलग-अलग थी, क्योंकि वे अलग-अलग समूहों का प्रतिनिधित्व करते थे ।
(पृष्ठ 56)
प्रश्न 4. कौन-सा विचार इन तीनों उद्धरणों में अवस्थित है ? 
उत्तर – इन तीनों उद्धरणों में बराबरी, एक व्यक्ति एक वोट और सबके वोटों के मूल्य बराबर हैं, की बात दर्शायी गई है।
प्रश्न 5. इन तीनों उद्धरणों में इस साझे विचार को व्यक्त करने का किस तरह एक-दूसरे से भिन्न है ।
उत्तर – वह इस तरह एक-दूसरे से भिन्न है कि भाषा के उपयोग का कमाल है। एक ही बात को तीनों उद्धरणों को तीन तरह से व्यक्त किया गया है ।

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