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NCERT Solutions for Class 8 Chapter 1 लाख की चूड़ियाँ (Lakh Ki Chudiyan) Hindi (Vasant) - FREE PDF Download

अभ्यास प्रश्न (पृष्ठ संख्या 6,7)
प्रश्न 1. बचपन में लेखक अपने मामा के गाँव चाव से क्यों जाता था और बदलू को 'बदलू मामा' न कहकर 'बदलू काका' क्यों कहता था?
उत्तर:- लेखक बचपन में अपने मामा के गाँव बड़े चाव से जाता था, क्योंकि जब वह वहां से लौटता तो गाँव का बदलू मनिहार उसे ढेर सारी रंग-बिरंगी लाख की गोलियाँ दिया करता था| वे रंग-बिरंगी गोलियाँ किसी भी बच्चे का मन मोह सकती थीं|
गांव के रिश्ते के मुताबिक लेखक को उसे 'बदलू मामा' कहना चाहिए था, परंतु वह बदलू को बदलू मामा न कहकर बदलू काका कहता था, क्योंकि गाँव के सभी बच्चे बदलू को बदलू काका ही कहते थे|
प्रश्न 2. वस्तु-विनिमय क्या है? विनिमय की प्रचलित पद्धति क्या है?
उत्तर:- वस्तुओं के बदले वस्तुओं के आदान - प्रदान की पद्धति को ही वस्तु - विनिमय कहा जाता है ; जैसे - बदलू काका की चूड़ियाँ लेकर लोग उसे अनाज आदि आवश्यकता का सामान दिया करते थे | वस्तु विनिमय क्रय - विक्रय का सबसे पुराना तरीका है | वर्तमान में विनिमय की प्रचलित पद्धति मुद्रा से क्रय - विक्रय किया जाता है|
Class 8 Hindi (Vasant) Chapter 1 - Lakh Ki Chudiyan
प्रश्न 3. "मशीनी युग ने कितने ही हाथ काट दिए हैं|" - इस पंक्ति में लेखक ने किस व्यथा की ओर संकेत किया है?
उत्तर:- मशीनी युग ने कितने ही हाथ काट दिए है प्रस्तुत पंक्ति में लेखक ने मशीनों के आ जाने से उत्पन्न हुई बेरोजगारी की व्यथा की ओर संकेत किया है | वर्षों बाद जब लेखक ने बदलू काका को बेरोजगारी और लाचार देखा टेनिस महसूस हुआ कि मशीनीकरण के परिणामस्वरूप परंपरागत काम करने वाले कलाकारों तथा कारीगरों का कार्य पूरी तरह से बंद हो गया है |
प्रश्न 4. बदलू के मन में ऐसी कौन - सी व्यथा थी, जो लेखक छिपी न रह सकी ?
उत्तर:- बदलू काका के मन में अनेक व्यथाएं छिपी थीं| बदलू काका कुशल मनिहार था | पहले उसके द्वारा बनाई गई लाख की चूड़ियों की बहुत माँग थी | उसका जीवन ठीक चलब्रहा था , मगर मशीन से बनी कांच की चूड़ियों के प्रचार ने उसका व्यवसाय लगभग बंद कर दिया | उसकी बनाई लाख की चूड़ियों को अब कोई भी नहीं पूछता था | बदलू बेरोजगार हो गया था और कोई अन्य काम न जानने के कारण अपनी जीविका चलाने में पहले की भांति समर्थ न था | बदलू के मन में अपनी आजीविक प्रति यही व्यथा लेखक से छिपी न रह सकी |
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प्रश्न 5. मशीनी युग से बदलू के जीवन में क्या बदलाव आया?
उत्तर:- मशीनी युग के आ जाने से बदलू के जीवन में काफी बदलाव आया | मशीन से बनी कांच की चूड़ियों के प्रचार से वह अधिक बिकने लगी और बदलू की हाथ से बनी चूड़ियों की मांग समाप्त होने लगी | ऐसा होने पर बदलू का पैतृक पेशा जाता रहा, जिसके कारण उसने अपना काम बंद कर दिया | वह अपनी आजीविक अर्जित करने में भी असमर्थ हो गया और दुःखी रहने लगा|
कहानी से आगे (पृष्ठ संख्या 7)
प्रश्न 6. आपने मेले - बाजार आदि में हाथ से बनी चीजों को बिकते देखा होगा | आपके मन में किसी चीज को बनाने की कला सीखने की इच्छा हुई हो और आपने कोई कारीगरी सीखने का प्रयास किया हो तो उसके विषय में लिखिए |
उत्तर:- ग्रीष्मावकाश में मैं गुवाहाटी गया था, वहाँ मुझे एक ग्रामीण मेले में जाने का मौका मिला | वहां मैंने बेत तथा बांस से बनी कलात्मक चीजें बिकती देखीं |
इससे पहले तो कभी मैने कल्पना भी न की थी बांस तथा बेंत से इतनी सारी वस्तुएँ बनती होंगी | मुझे लगा कि मैं ऐसी कलाकृतियां बना सकता हूँ, इसलिए घर वापस आकर मैने बांस की टोकरियां बनाने की कोशिश की | मेरी कोशिश लगभग सफल हो गई थी, क्योंकि मेरे माता - पिता मेरे द्वारा बनाई गई टोकरियों को देखकर बहुत खुश हुए |
प्रश्न 7. लाख की वस्तुओं का निर्माण भारत किन - किन राज्यों में होता है ? लाख से चूड़ियों के अतिरिक्त क्या - क्या चीजें बनती है? ज्ञात कीजिए |
उत्तर:- लाख एक प्रकार की गोंद है, जो पतझड़ वन क्षेत्रों के पेड़ों से प्राप्त होता है | भारत में झारखंड, ओडिशा, बंगाल, बिहार, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश तथा राजस्थान आदि राज्यों में लाख की वस्तुओं का निर्माण होता है | लाख से चूड़ियों के अतिरिक्त सजावटी सामान, खिलौने, आभूषण, मूर्तियों आदि का निर्माण किया जाता है | इन वस्तुओं के निर्माण के अतिरिक्त लाख का प्रयोग डाक तथा अन्य कार्यालयों में समान पैकिंग करने एवं मुहर लगानेबके कम में होता है |
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अनुमान और कल्पना (पृष्ठ संख्या 7)
प्रश्न 1. घर में मेहमान के आने पर आप उसका अतिथि सत्कार कैसे करेंगे?
उत्तर:- घर में मेहमान के आने पर सर्वप्रथम मैं उनका प्रसन्नता से स्वागत करूंगा तथा स्वागत कक्ष में प्रेमपूर्वक बिठाकर मौसम के अनुसार जलपान, चायपान आदि कराऊंगा | विनम्रतापूर्वक उनके आने का कारण पूछूंगा | यदि उनके लिए कुछ कर सकूं, तो अवश्य करूंगा | उसके बाद मैं अतिथि को संपन्नपूर्वक विदा करूंगा |
प्रश्न 2. आपको छुट्टियों में किसके घर जाना अच्छा लगता है? वहाँ की दिनचर्या अलग कैसे होती है? लिखिए |
उत्तर:- मुझे छुट्टियों में अपनी मौसी के घर जाना बहुत अच्छा लगता है | मेरी मौसी एक छोटे से शहर में रहती है और वहां जाकर मैं अपनी सामान्य दिनचर्या भी भूल जाता हूं |
अपने घर में मै प्रात: पाँच बजे उठ जाता हूं तथा आठ बजे स्कूल चला जाता हूं लेकिन, मौसी के यहाँ जाकर मुझ पर किसी प्रकार की पाबंदी नहीं रहती | सुबह भाईयों के साथ देर तक सोता रहता हूं फिर उठकर नाश्ता करके खेलने चला जाता हूं | दोपहर में टी. वी. देखना और फिर शाम को देर तक खेलना यही मेरी दिनचर्या रहती है | मौसी कभी भी गुस्सा नहीं करती है, जिस कारण मैं आजादी से मौज - मस्ती करता रहता हूं |
प्रश्न 3. मशीनी युग में अनेक परिवर्तन आए दिन होते रहते है | आप अपने आस - पास से इस प्रकार के किसी परिवर्तन का उदाहरण चुनिए और उसके बारे में लिखिए |
उत्तर:- मशीनी युग में अनेक परिवर्तन आए दिन होते रहते है | ऐसे ही एक परिवर्तन के उदाहरण के रूप में हम कृषि को चुन सकते है | कृषि क्षेत्र में मशीनों के आने से बहुत परिवर्तन हुआ है |
पहले खेतों की जुताई बैल की मदद से की जाती थी, लेकिन अब बैल की जगह ट्रैक्टर ने ले ली है | खेतों में सब काम जैसे - बीज बिना, सिंचाई करना, खाद डालना, फसलों की कटाई करना आदि मजदूरों के द्वारा किए जाते थे, लेकिन अब ये सभी काम मशीनों द्वारा किए जाते है, जिसके कारण अनेक मजदूर बेरोजगार हो गए है |
प्रश्न 4. बाजार में बिकने वाले समानों के डिजाइनों में हमेशा परिवर्तन होता रहता है | आप इन परिवर्तनों को किस प्रकार देखते है ? आपस में चर्चा कीजिए|
उत्तर:- बाजार में बिकने वाले समानों के डिजाइनों में हमेशा परिवर्तन होता रहता है, क्योंकि समय के साथ साथ मनुष्य की इच्छाएं, जरूरत और पसंद बदलती रहती हैं|
हम इस परिवर्तन को सकारात्मक नजरिए से देखते है, क्योंकि किसी भी वस्तु का डिजाइन उसके प्रति आकर्षण का पहला कारण होता है | ग्राहक की जरूरत, पसंद और इच्छाओं को देखते हुए दुकानदारों को भी अपने सामान में परिवर्तन करते रहना पड़ता है, साथ ही परिवर्तन के कारण उन वस्तुओं को उपयोग करने में भी आसानी होती हैं|
प्रश्न 5. हमारे खान-पान, रहन-सहन और कपड़ों मे भी बदलाव या रह है | इस बदलाब के पक्ष-विपक्ष मे बातचीत कीजिए और बातचीत के आधार पर लेख तैयार कीजिए |
उत्तर:- बदलाव मनुष्य की प्रकृति है | हमारे खान-पान, रहन-सहन और कपड़ों मे भी बदलाव या रहा है | तीस-चालीस वर्ष पहले उत्तर भारत मे दक्षिण भारतीय खान-पान का प्रचलन नहीं था | आज हर शहर मे यहाँ तक की उत्तर भारत के गाँव-गाँव मे यह प्रचलित हो चुका है | पहले चाय पीने वालों की संख्या हमारे देश मे काफी कम थी, परंतु आज घर-घर मे कई बार लोग चाय पीते है | खान-पान मे फास्ट फूड अधिक प्रयोग हो रहा है, जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है | कपड़ों के आकार-प्रकार तथा फैशन मे काफी बदलाव आया है | वेशभूषा हर परिवार तक पहुँच चुकी है | कई लोग भारतीय पारंपरिक खान-पान तथा वेशभूषा को श्रेष्ट मानते है और उनका मानना है की सब कुछ शीतलता से होना चाहिए | इन सभी विचारों से कह सकते है की बदलाव जीवन का एक आवश्यक पहलू है |
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भाषा की बात (पृष्ठ संख्या 7,8)
प्रश्न 1. बदलू को किसी बात से चिढ़ थी तो काँच की चूड़ियों से और बदलू स्वयं कहता है - ''जो सुंदरता काँच की चूड़ियों मे होती है लाख मे कहाँ संभव है ?'' ये पंक्तियाँ बदलू की दो प्रकार की मनोदशाओं को सामने लाती है | दूसरी पंक्ति मे उसके मन की पीड़ा है | उसमें व्यंग्य भी है | हारे हुए मन से, या दुखी मन से अथवा व्यंग्य मे बोले गए वाक्यों के अर्थ सामान्य नहीं होते | कुछ व्यंग्य वाक्यों को ध्यानपूर्वक समझकर एकत्र कीजिए और उनके भीतरी अर्थ की व्याख्या करके लिखिए |
(i) ''जो सुंदरता काँच की चूड़ियों मे होती है, लाख मे कहाँ संभव है |''
भीतरी अर्थ :- बदलू द्वारा लेखक को कहे गए इस वाक्य ने बहत के मन की व्यथा दिखती है | वह आश्चर्य व्यक्त करता है की भला लाख की चूड़ियों मे कौन सी कमी होती है, जो लोगों को पसंद नहीं आती, जिसके कारण लोग फिर भी न काँच की चूड़ियों के पीछे भागे जा रहे है |
(ii) ''शहर की बात और है, लला ! वहाँ तो सब कुछ होता है | वहाँ तो औरतें अपने मरद का हाथ पकड़कर सड़कों पर घूमती है और फिर उनकी कलाइयाँ नाजुक होती है न ! लाख की चूड़ियों पहनें तो मोच न अ आए |''
भीतरी अर्थ :- लेखक से बातचीत करते हुए बदलू इस कथन के द्वारा शहरी संस्कृति पर व्यंग्य करता है | उसका मानना है की गांवों की संस्कृति से शहरों की संस्कृति भिन्न होती है | शहरों मे पाश्चात्य संस्कृति की अंधाधुंध नकल की जा रही है | बदलू के अनुसार, लाख की चूड़ियों मे शुद्धता और सच्चाई होती है | ये चूड़ियों भारतीयता की पहचान है, जबकि शहर के लोगों का जीवन दिखावा युक्त होता है |
(iii) ''मशीनी युग है न यह, लला ! आजकल सब काम मशीन में होता है|''
भीतरी अर्थ :- प्रस्तुत कथन द्वारा बदलू ने लेखक को संबोधित किया है | बदलू मशीनीकरण का शिकार है और उसके मन में मशीनों के प्रति एक आक्रोश है | वस्तुत: बदलू का संकेत मशीनों के बढ़ते प्रयोग से पैदा होने वाली बेरोजगारी की ओर है |
(iv) ''नाजुक तो फिर होता ही है लला !''
भीतरी अर्थ :- बदलू कहना चाहता है की लोग कारीगरी तथा मजबूती की जगह नाजुक और सुंदर चीजों की ओर अधिक आकर्षित होते है, जो यह उनकी भूल है | उन्हे बनावटी कोमलता पसंद है | काँच की चूड़ियाँ टूट जाति है और सुभकर चोट पहुंचाती है |
प्रश्न 2. 'बदलू' कहानी की दृष्टि सी पात्र है और भाषा की बात (व्याकरण) की दृष्टि से संज्ञा है | किसी भी व्यक्ति,स्थान, वस्तु, विचार अथवा भाव को संज्ञा कहते है | संज्ञा को तीन भेदों मे बाँटा गया है- (क) व्यक्तिवाचक संज्ञा ; जैसे- लला, रज्जो, आम, काँच इत्यादि (ख) जातिवाचक संज्ञा ; जैसे- चरित्र, स्वभाव, वजन, आकार आदि द्वारा जानी जाने वाली संज्ञा | (ग) भाववाचक संज्ञा ; जैसे- सुंदरता, नाजुक, प्रसन्नता इत्यादि, जिसमे कोई व्यक्ति नहीं है और न आकार या वजन, परंतु उसका अनुभव होता है | पाठ से तीनों प्रकार की संज्ञाएँ चुनकर लिखिए |
उत्तर:- (i) व्यक्तिवाचक संज्ञा :- बदलू, जनार्दन, नीम, आम, लाख, रज़्जे |
(ii) जातिवाचक संज्ञा :- मरद, सड़क, गाय, बच्चे, गाँव, मकान, शहर, वृक्ष, अनाज, नाव-वधू, चित्र, लड़की, जमींदार, घरवाली, स्कूल |
(iii) भाववाचक संज्ञा :- पढ़ाई, सुंदरता, जिद, महत्व, व्यथा, शांति आदि |
प्रश्न 3. गाँव की बोली में कई शब्दों के उच्चारण बदल जाते है | कहानी में बदलू वक्त (समय) को बखत, उम्र (वय/आयु) को उमर कहता है | इस तरह के अन्य शब्दों को खोजिए, जिनके रूप में परिवर्तन हुआ हो, अर्थ मे नहीं |
उत्तर :-
गाँव की बोली में रूप |
शब्दों का शुद्ध रूप |
मरद |
मर्द |
भइया |
भैया |
लला |
लाला |
ब्याह |
विवाह |