NCERT Solutions for Class 8 Chapter 3 दीवानों की हस्ती (Divano Ki Hasti) Hindi (Vasant) - FREE PDF Download%20Hindi%20(Vasant)%20-%20FREE%20PDF%20Download.png)
SM Study Point Bittu Sir
%20Hindi%20(Vasant)%20-%20FREE%20PDF%20Download.png)
कविता से (पृष्ठ संख्या 17)
प्रश्न 1. कवि ने अपने आने को 'उल्लास' और जाने को 'आँसू बनकर बह जाना' क्यों कहा है ?
उत्तर- मस्तमौला कवि जब अपने भाई-बंधुओं से मिलने आता है, तो सभी के चेहरे पर खुशियां छा जाति है, परंतु जब वहाँ से जाने की बात करता है, तो उसके भाई बंधुओं की आँखों मे आँसू या जाते है | इसलिए कवि ने अपने आने को 'उल्लास' और जाने को 'आँसू बनकर बह जाना' कहा है |
प्रश्न 2. भिखमंगों की दुनिया मे बेरोक प्यार लुटानेवाला कवि ऐसा क्यों कहता है की वह अपने हृदय पर असफलता का एक निशान भार की तरफ लेकर जा रहा है ? क्या वह निशान है या प्रसन्न है ?
उत्तर- यहाँ भिखमगों की दुनिया से कवि का आशय है की यह दुनिया केवल लेना जानती है देना नहीं | कवि मे भी अपना सब कुछ त्यागकर व अपने-पराए का भेद मिटाकर इस दुनिया को प्यार व खुशियाँ दी, परंतु इसके बदले में उसे वह प्यार नहीं मिल, जिसकी उसे आशा थी |
कवि ने इसे ही अपनी असफलता कहा है | इसलिए कवि कहता है की वह अपने हृदय पर असफलता का एक निशान भार की तरह लेकर जा रहा है | यहाँ कवि निराश है, क्योंकि वह समझता है की लोगों के जीवन मे प्यार और खुशियां भरने में वह असफल रहा है |
NCERT Solutions for Class 8 Chapter 3 दीवानों की हस्ती (Divano Ki Hasti) Hindi (Vasant) - FREE PDF Download
प्रश्न 3. कविता में ऐसी कौन-सी बात है, जो आपको अच्छी लगी?
उत्तर- कविता में जीवन के प्रति आशावादी दृष्टिकोण रखने की जो भावना प्रकट हुई है, वह हमें सबसे अच्छी लगी | कवि ने बिल्कुल सच कहा है की मानव जीवन में मस्ती होने से जीवन आनंदमयी हो जाता है अन्यथा जीवन मे दुख ही दुख है | जीवन का आनंद वस्तुओं का संग्रह करने में या धन-दौलत और पद-प्रतिष्ठा कमाने में नहीं है, बल्कि जीवन का साली आनंद प्यार बांटने और मस्त रहने में मिलता है | हानि-लाभ, सुख-दुख और अपने-पराए के बंधनों को तोड़कर ही मानव जीवन का सही आनंद लिया जा सकता है |
कविता से आगे (पृष्ठ संख्या 17)
प्रश्न 1. जीवन में मस्ती होनी चाहिए, लेकिन कब मस्ती हानिकारक हो सकती है ? सहपाठियों के बीच चर्चा कीजिए |
उत्तर- इस बात मे कोई संदेह नहीं है की जीवन मे मस्ती होनी चाहिए, क्योंकि मस्ती के बिना जीवन नीरस हो जाता है | मस्ती हमारी स्वतंत्रता की प्रतीक है, परंतु स्वतंत्रताओं की भी एक मर्यादा होती है | मस्ती करते समय हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए की इसके कारण किसी दूसरे व्यक्ति की भावनाएं आहत न हों | मस्ती के नाम पर हमें ऐसा कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए, जिसके कारण किसी को कोई चोट या दुख पहुँचे | ऐसा होने पर मस्ती हानिकारक हो सकती है |
NCERT Solutions for Class 8 Chapter 3 दीवानों की हस्ती (Divano Ki Hasti) Hindi (Vasant) - FREE PDF Download
अनुमान और कल्पना (पृष्ठ संख्या 18)
प्रश्न 1. एक पंक्ति मे कवि ने यह कहकर अपने अस्तित्व को नकारा है की ''हम दीवानों की क्या हस्ती है, आज यहाँ, कल वहाँ चले|'' दूसरी पंक्ति में उसने यह कहकर अपने अस्तित्व को महत्व दिया है की '' मस्ती का आलम साथ चला, हम धूल उड़ाते जहाँ चले|'' यह फाकामस्ती का उदाहरण है | अभाव में भी खुश रहना फाकामस्ती कही जाति है | कविता में इस प्रकार की अन्य पंक्तियाँ भी है, उन्हें ध्यानपूर्वक पढिए और अनुमान लगाइए की कविता मे परस्पर विरोधी बातें क्यों कही गई है ?
उत्तर- कविता में आई काव्य पंक्तियाँ, जिनमें विरोधी बातें कही गई है
1. आँसू तथा उल्लास
''आए बनकर उल्लास अभी,
आँसू बनकर बह चले अभी|''
2. लेना भी और देना भी
''जग से उसका कुछ लिए चले,
जग को अपना कुछ दिए चले |''
3. हँसना परंतु रोना भी
''दो बात कही, दो बात सुनी,
कुछ हँसे और फिर कुछ रोए|''
4. लुटाने की सफलता के साथ ही असफलता का भाव
''हम भिखमंगों की दुनिया में,
स्वच्छंद लुटाकर प्यार चले,
हम एक निसनी-सी उर पर,
ले असफलता का भार चले |''
NCERT Solutions for Class 8 Chapter 3 दीवानों की हस्ती (Divano Ki Hasti) Hindi (Vasant) - FREE PDF Download
5. बंधन भी और आजादी भी
''हम स्वयं बंधे थे और स्वयं
हम अपने बंधन तोड़ चले |''
कवि ने मस्तमौलापन को परिभाषित करने के लिए उपर्युक्त बातें कही है | कवि आँसू और उल्लास, लेन-देन, हँसना-रोना, सफलता-असफलता तथा बंधन-मुक्ति की परवाह नहीं करता |उसके अनुसार यदि इन बातों की परवाह की जाएगी, तो जीवन में मस्ती नहीं आ सकती |
भाषा की बात (पृष्ठ संख्या 18)
प्रश्न 1. संतुष्टि के लिए कवि ने 'छककर', 'जी भरकर' और 'खुलकर' जैसे शब्दों का प्रयोग किया है | इसी भाव को व्यक्त करने वाले कुछ और शब्द सोचकर लिखिए; जैसे- हँसकर, गाकर |
उत्तर- धूल उड़ाकर, उल्लास बनकर, प्यार लुटाकर, बंधन तोड़कर, मस्त होकर, आनंद लेकर, मस्त जीकर आदि |