(i) नींद खुलना (सोए से जगना) — सुबह जब नींद खुली तो देखा वर्षा हो रही है।
(ii) आनंद विभोर होना (अति प्रसन्न होना ) —आई. ए. एस. की परीक्षा का परिणाम सुनकर अहमद आनंद विभोर हो गया ।
(iii) जिन्दगी से खिलवाड़ करना (जोखिम मोल लेना)– किसी को भी जिन्दगी से खिलवाड़ न करना चाहिए, क्योंकि मानव का जीवन दुर्लभ होता है ।
(iv) आँखें भरना (आह्लादित होना) – रघु के नम्रतापूर्ण व्यवहार से शिक्षक की आँखें भर आई।
(v) यात्रा करना (भ्रमण करना) — गाँधीजी ने नमक कानून को तोड़ने के लिए दाण्डी यात्रा की थी ।
Bihar Board Class 7th Hindi Chapter 18 (SM STUDY POINT)
अभ्यास के प्रश्न एवं उत्तर
पाठ से :
प्रश्न 1. हुएनत्सांग भारत क्यों आना चाहते थे ?
उत्तर – हुएनत्सांग भारत के नालंदा नामक महाविद्यालय के वृद्ध भिक्षुक शीलभद्र के साथ योगशास्त्र पर चर्चा करने के उद्देश्य से भारत आना चाहते थे। साथ ही, उन्हें बौद्ध एवं ब्राह्मण ग्रंथों के अध्ययन की उत्कट अभिलाषा थी । उस समय नालंदा विश्वप्रसिद्ध शिक्षा का केन्द्र था । यहाँ का धर्म, ज्ञान एवं दर्शन की पुस्तकें विश्वविख्यात थीं। इन्हीं विशेषताओं को जानने-समझने के लिए हुएनत्सांग भारत आना चाहते थे।
प्रश्न 2. भारत आने में हुएनत्सांग को किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा ?
उत्तर – भारत आने में हुएनत्सांग को ऊँचे-ऊँचे पर्वत, सागर की भयंकर लहरों तथा चीनी नियमों का सामना करना पड़ा। क्योंकि उस समय चीन के कानून के मुताबिक लोगों को देश छोड़ने की आज्ञा नहीं थी। इसलिए हुएनत्सांग ने छिपे रूप में भारत की यात्रा की । इसके साथ ही, यहाँ के रास्ते के बारे में जानकारों ने कहा – पश्चिमी रास्ते मुश्किल और खतरनाक हैं। कभी रेत के तूफान रास्ता रोक देते हैं तो नर-पिशाचों तथा लू-लपट से भरे आँधी-तूफानों का खतरा भी है। इस प्रकार हुएनत्सांग को अनेक प्रकार के मानवीय एवं प्राकृतिक कठिनाइयों का सामना करा पड़ा ।
प्रश्न 3. हुएनत्सांग और शीलभद्र के मिलन का वर्णन कीजिए ।
उत्तर – हुएनत्सांग जब शीलभद्र के सामने आए तो उन्होंने घुटनों के बल बैठ कर श्रद्धापूर्वक उनके चरणों का चुम्बन किया और भूमि पर सिर रख दिया। इसके बाद वे नम्रतापूर्वक बोले- मैंने आपके निर्देश में शिक्षा ग्रहण करने के लिए चीन से यहाँ आया हूँ। मैं प्रार्थना करता हूँ कि आप मुझे अपना शिष्य बना लें । यह सुनते ही शीलभद्र की आँखें भर आईं। उन्होंने कहा – हमारा गुरु शिष्य का संबंध देव निर्धारित है। दुःखदायी बीमारी के कारण अपनी जीवन लीला समाप्त करने की मैंने इच्छा प्रकट की थी, किंतु तीन देवों के आग्रह पर मुझे मरने की इच्छा वापस लेनी पड़ी । देवों का आदेश था कि चीनी भिक्षुक को भली-भाँति शिक्षित करना । इन दोनों का मिलन अति आहह्लादकारी था।
प्रश्न 4. नालंदा का वर्णन हुएनत्सांग ने किन शब्दों में किया ?
उत्तर – नालंदा के विषय में हुएनत्सांग ने लिखा है कि मठ के चारों ओर ईंटों की दीवारें थीं। वहाँ आठ बड़े कक्ष थे। एक द्वार महाविद्यालय के रास्ते में खुलता था । भवन कलात्मक एवं बुर्जों से सुसज्जित था । वेधशालाएँ सुबह में कुहासे में छिप जाती थीं और ऊपरी कमरे बादलों में खोए प्रतीत होते थे। तालाबों के स्वच्छ जल में नील कमल खिले हुए थे। आम्रकुंजों से आम के बौर खुशबू बिखेर रहे थे। बाहरी सभी आँगनों में चार मंजिल कक्ष पुजारियों के लिए थे। लाल-मुगिया खंभों पर बेल-बूटे उकेरे गये थे । जगहजगह रोशनदान बने थे । फर्श चमकदार ईंटों की बनी हुई थी । राजा पुजारियों का सम्मान करता था। सौ गाँवों के लगान को इस संस्थान को धर्मार्थ दिया करता था । यहाँ के भिक्षु विद्वान एवं दक्ष थे । मठ के कठोर नियम थे, जिनका पालन करना आवश्यक था । दिनभर अध्ययन अध्यापन का कार्य होता था । दर्शनार्थी एवं शास्त्रार्थ करनेवालों को द्वारपाल के प्रश्नों का उत्तर देने के बाद ही प्रवेश करने की आज्ञा मिलती थी ।
पाठ से आगे :
प्रश्न 1. निम्नलिखित अंश 'हुएनत्सांग' के किस पक्ष को दर्शाता है ? "जब तक मैं बुद्ध के देश में नहीं पहुँच जाता, मैं कभी चीन की तरफ मुड़कर भी नहीं देखूँगा । ऐसा करने में यदि रास्ते में मेरी मृत्यु हो जाए तो उसकी भी चिन्ता नहीं ।"
उत्तर – दिया गया अंश हुएनत्सांग के उस पक्ष को दर्शाता है, जो उन्हें बुद्ध के देश में आने को बेचैन करता था। बुद्ध के देश में पहुँचने में वे अपने प्राणों की भी परवाह नहीं करते । वे किसी भी तरह बौद्ध और ब्राह्मण ग्रन्थों का अध्ययन करना चाहते थे। शीलभद्र जैसे बौद्ध विद्वान से मिलना एक अन्य पक्ष था ।
प्रश्न 2. आप अपने आस-पास के किसी धर्मिक, ऐतिहासिक स्थल पर जाइए और उसकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर – छात्र अपने से बनाए
व्याकरण :
प्रश्न 1. कारक और उनके साथ लगने वाले चिह्न इस प्रकार है:
कारक विभक्ति
कर्ता ने,
कर्म को,
करण से, द्वारा
सम्प्रदान के लिए
आपादान से
अधिकरण में, पर
उपर्युक्त विभक्तियों का प्रयोग करते हुए एक-एक वाक्य बनाइए ।
उत्तर — कर्ता — राम ने रोटी खाई ।
कर्म — सीता ने भात को खाया ।
करण — वह कलम से लिखता है ।
सम्प्रदान — गरीबों के लिए दान दो ।
आपादान — छात्र बस से उतरते है ।
अधिकरण — शिक्षक कक्षा में पढ़ाते है ।
कुछ करने को :
प्रश्न 1. गया और नालंदा की तरह बिहार की कुछ प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थलों की सूची बनाइए ।
उत्तर — गया और नालंदा की तरह कुछ प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल हैं: राजगीर, वैशाली, पावापुरी, विक्रमशिला, सीतामढ़ी, अहिल्यास्थान, अम्बिकास्थान, मनेरशरीफ आदि ।
प्रश्न 2. अपने शिक्षकों/अभिभावकों से पता कीजिए कि बिहार में मेले कहाँकहाँ लगते हैं और वे क्यों प्रसिद्ध हैं ?
उत्तर – बिहार में मेले. हरिहर क्षेत्र, सीता जन्म स्थान, बनियापुर, बैकठपुर, राजगीर (मलमास मैला) आदि स्थानों पर लगते हैं ।
पाठ से महत्त्वपूर्ण प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1. हुएनत्सांग ने सुमेरु पर्वत के संबंध में क्या कहा है ?
उत्तर – हुएनत्सांग को लगा कि यह दैवी सुमेरु पर्वत महान समुद्र के मध्य में से उभरा है। यह पर्वत उन्हें सोना, चाँदी, रत्नों और जवाहरातों का बना हुआ सुंदर एवं विशाल लग रहा था ।
प्रश्न 2. टावर के संबंध में आदमी ने क्या कहा ?
उत्तर – टावर के सम्बंध में आदमी ने कहा कि इसके बाद पाँच सिग्नल टावर हैं । इन टावरों की निगरानी प्रहरी करता है जो बिना अनुमति के चीन से बाहर जाने वाले आदमी को नहीं जाने देता ।
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