NCERT Solutions for Class 9 Chapter 4. लाल पान की बेगम (Lal Pan Ki Begam) Godhuli (Hindi) - FREE PDF DownloadSM STUDY POINT
अभ्यास के प्रश्न और उनके उत्तर
पाठ के साथ :
प्रश्न 1. बिरजू की माँ को लाल पान की बेगम क्यों कहा गया है?
उत्तर- बिरजू की माँ को लाल पान की बेगम इसलिए कहा गया है क्योंकि वह खुशमिजाज तथा सौन्दर्य प्रिय महिला है। जब गाड़ी बलरामपुर की ओर चलती है, वह साथ बैठी महिलाओं को गीत गाने के लिए प्रेरित करती है तथा स्वयं भी गीत गाने के लिए उत्सुक हो जाती है। वह जंगी की पतोहू की प्रशंसा करती हुई कहती है, कितनी प्यारी पतोहू है! गौने की साड़ी से एक खास किस्म की गंध निकलती है। उसकी ऐसी मनोदशा देखकर ही जंगी की पतोहू ने कहा था की चल दिदिया, यहाँ लालपान की बेगम बसती है। उसकी इसी उक्ति को गाड़ी पर बैठी सभी औरतें स्वीकारती है की वह सचमुच लाल पान की बेगम है।
प्रश्न 2. ''नवान्न के पहले ही नया धान जूठा दिया।'' इस कथन से बिरजू की माँ का कौन-सा मनोभाव प्रकट हो रहा है?
उत्तर- प्रस्तुत कथन से स्पष्ट होता है की बिरजू की माँ धार्मिक एवं श्रद्धालु स्वभाव की औरत है। उसे देव-पितर पर आस्था है। गाँवों में ऐसी परम्परा रही है की नई फसल तैयार होने पर लोग सर्वप्रथम देवताओं को अन्न अर्पित करके ही खाते है, ताकि देव-पितर प्रसन्न रहें तथा सुख-शांति का आशीर्वाद दें।
प्रश्न 3. बिरजू की माँ बैठी मन-ही-मन क्यों कुढ़ रही थी?
उत्तर- बिरजू की माँ को नाच देखने बलरामपुर जाना है। उसका पति बैलगाड़ी लेकर अभी तक नहीं आया है। उसे भय है की यदि गाड़ी नहीं आई तो सारी तैयारी निष्फल हो जाएगी। इसलिए वह शकरकंद उबालकर बैठी मन-ही-मन कुढ़ रही है।
प्रश्न 4. लाल पान की बेगम शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- प्रस्तुत कहानी का शीर्षक लाल पान की बेगम सर्वथा उचित है। पूरी कहानी का ताना-बाना बिरजू की माँ की मनोदशा के आधार पर बुना जाता है। बिरजू की माँ को नाच देखने की देरी से क्रोध हो रहा है। वह अपना क्रोध अपने बच्चों पर उतारती है। गाँव की औरतें उससे ईर्ष्या करती है, क्योंकि उसके पति ने सर्वे में कुछ जमीन हासिल कर ली है। उसने एक जोड़ा बैल भी खरीद लिया है। वह बैलगाड़ी पर बैठकर नाच देखने जाएगी लेकिन अभी तक गाड़ी नहीं आई है। इसी कारण वह उद्विग्न हो जाती है तथा पड़ोसिन से झगड़ लेती है। कहानी गहरी संवेदना के साथ आगे बढ़ती है। गाड़ी आते ही कहानी अपने लक्ष्य की ओर बढ़ जाती है। गाड़ी पर चढ़ते ही बिरजू की माँ की मनोकामना पूरी हो जाती है। वह अपने स्नेहिल व्यवहार का परिचय देती हुई उसे भी गाड़ी पर बैठा लेती है, जिससे दिन में झगड़ा होता है। इस प्रकार कहानीकार ने ग्रामीण परिवेश का वर्णन करते हुए यह दिखाया है की गाँव के लोग किस तरह एक-दुसरे के साथ इर्ष्या-द्वेष, राग-विराग, आशा-निराशा,हर्ष-विषाद के गहरे आवर्त में बंधे होते है। कहानी की विषय-वस्तु का प्रतिपादन परिस्थति के अनुसार हुआ है। कहानी का आरम्भ नाच देखने से तथा अंत बैलगाड़ी के चल पड़ने से होता है। अत: कहानी का नाम लालपान की बेगम देश, कला, पात्र एवं परिस्थिति के अनुसार सार्थक है।
प्रश्न 5. सप्रसंग व्याख्या करें:
(क) ''चार मन पाट (जुट) का पैसा क्या हुआ है, धरती पर पाँव ही नहीं पड़ते।''
उत्तर- बिरजू की माँ दबंग स्वभाव की है। उसे नाच देखने की ललक है। बिरजू का पिता बैलगाड़ी लाने जाता है। उसे बैलगाड़ी लाने में विलंब हो जाता है जिस कारण उसका क्रोध भभकने लगता है। उसे इस वर्ष जुट की खेती से अच्छी आमदनी होती है। इसी आमदनी से बैल खरीदा जाता है। बिरजू के पिता ने कहा की इस बार बैलगाड़ी पर बैठाकर बलरामपुर का नाच दिखा लाऊंगा। पति की बात से उत्साहित उसने गाँव में यह प्रचार करने लगी की वह बैलगाड़ी पर बैठकर नाच देखने जाएगी। परन्तु उसका सारा उत्साह गाड़ी न आने के कारण दम तोड़ने लगता है। अर्थात जैसे-जैसे समय बीतता जाता है, उसका क्रोध बढ़ता जाता है। वह बेटा बिरजू तथा बेटी चंपिया पर अपना क्रोध उतारने लगती है। मखनी फुआ के पूछने पर की क्या नाच देखने नहीं जाएगी? फुआ की यह बात उसे तीर-सा लगा और उसने जली-कटी बातें कहने लगी। इसी संदर्भ में फुआ ने पनहारिन से कहा- चार मन पाट (जुट) का पैसा क्या हुआ है, धरती पर पाँव ही नहीं पड़ते।
प्रश्न 6. ''दस साल की चंपिया जानती है की शकरकंद छीलते समय कम-से-कम बारह बार माँ उसे बाल पकड़कर झकझोरेगी, छोटी-छोटी खोट निकालकर गालियाँ देगी।'' इस कथन से चंपिया के प्रति माँ की किस मनोभावना की अभिव्यक्ति होती है?
उत्तर- प्रस्तूत कथन के माध्यम से चंपिया की माँ का उसके प्रति हीन मनोभावना की अभिव्यक्ति होती है। वह जानती है की लड़की है और लड़की को समाज में उपेक्षा की दृष्टि से देखा जाता है। उसके हर कार्य पर पैनी दृष्टि राखी जाती है तथा हर गलती पर सजा भुगतनी होती है। चंपिया भी इससे वंचित नहीं है। माँ के व्यवहार से बेटा-बेटी का भेद सपष्ट दिखता है। साथ ही, चंपिया के साथ किए जा रहे व्यवहार से उसकी माँ के क्रोधी स्वभाव का पता चलता है।
प्रश्न 7. ''बिरजू की माँ का भाग ही खराब है, जो ऐसा गोबर गणेश घरवाला उसे मिला। कौन-सा सौख-मौज दिया है उसके मर्द ने। कोन्हू के बैल की तरह खटा कर सारी उम्र काट दी इसके यहाँ।'' प्रस्तुत कथन से बिरजू की माँ और उसके पिता के संबंधों में कड़वाहट दिखाई पड़ती है। कड़वाहट स्थाई है या अस्थाई? इसके कारणों पर विचार कीजिए।
उत्तर- कहानी की नायिका बिरजू की माँ दबंग, स्वाभिमानी, चतुर, परिश्रमी तथा निर्भीक महिला है। उसका पति सीधा-सादा गरीब किसान है। वह सरल-ह्रदय, स्नेहिल तथा प्रेमी पति है, जबकि उसकी पत्नी क्रोधी स्वभाव की है, लेकिन विवेकशील है। वह अच्छी तरह जानती है की कब क्या करना चाहिए। इसी गुण के कारन सर्वे के समय पति को बार-बार अपनी जमीन का परचा प्राप्त करने के लिए उत्साहित करती है। बाबू साहेब की धमकी से डरती नहीं बल्कि पति की अन्यमनस्कता पर क्रुद्ध हो जाती है। तात्पर्य की कहानी की नायिका बिरजू की माँ तथा उसके बाप का झगड़ा अस्थाई है। उन दोनों में झगड़ा का लक्ष्य प्राप्ति के लिए होता है। जैसे- नाच देखने जाने के अवसर पर बैलगाड़ी के आने में देरी होने पर आगबबुला हो जाती है। परन्तु गाड़ी आते ही प्रसन्न हो जाती है। अत: पति-पत्नी के बीच झगड़ा का कारण उद्देश्य की पूर्ति है। वह अपने उद्देश्य की पूर्ति न होने तक उद्वेलित रहती है, उद्देश्य की पूर्ति होते ही स्नेहमयी हो जाती है।
प्रश्न 8. गाँव की गरीबी तथा आपसी क्रोध और इर्ष्या के बीच भी एक प्राकृतिक प्रसन्नता निवास करती है। पाठ के आधार पर बताएँ।
उत्तर- लाल पान की बेगम शीर्षक कहानी ग्रामीण परिवेश की कहानी है। कहानी में गाँव की गरीबी, क्रोध और इर्ष्या का चित्रण है। बिरजू की माँ नाच देखने जाने में विलंब होने से कुपित है। गाँव की महिलाएँ उससे ईर्ष्या करती है, क्योंकि उसके पति ने सर्वे में कुछ जमीन हासिल कर ली है। उसने एक जोड़ा बैल भी खरीद लिए है। किन्तु वही ईर्ष्या तथा ताने मारने वाली औरतें नाच देखने के लिए उसकी गाड़ी पर बैठकर जाती है। बिरजू का बाप मलदहिया टोली के मियाँजी से माँगकर गाड़ी लाता है। मखनी फुआ बिरजू की माँ का घर ओगरती है। इससे स्पष्ट होता ही की गरीबी, ईर्ष्या और क्रोध के बीच भी गाँव में प्राकृतिक प्रसन्नता निवास करती है।
प्रश्न 9. कहानी में बिरजू और चंपिया की चंचलता और बालमन के कुछ उदहारण प्रस्तुत करें।
उत्तर- बिरजू एक गरीब किसान का बेटा है। वह सात साल का है। उसमें बाल स्वभाव की चपलता है। शकरकंद के बदले उसे माँ का तमाचा खाना पड़ता है। वह अपनी गरीबी से पूर्ण परिचित है। वह सहनशील है। वह शोख तथा बदमाश नहीं है, परन्तु माँ के कथनानुसार हथछुट्टा है क्योंकि वह बागड़ पर डंडा चलाता है। नाच देखने के नाम पर वह भी प्रसन्न होता है। उसमें बालसुलभ चेष्टाएँ है जैसे- नवान्न के पहले धान जूठा देता है। गुड़ के लिए हठ करता है। उसके पैंट में बटन नहीं है, इसलिए पटसन बाँधकर काम चला लेता है।
बिरजू की बहन चंपिया दस साल की है। वह बड़ी ही खुशमिजाज, मस्त तथा बेपरवाह लड़की है। छोटी उम्र की होने के बावजूद घर के कामों में हाथ बँटाती है। उसमें बाल स्वभाव की चंचलता है। गाड़ी आते ही वह चहकने लगती है। गुड़ खा जाती है तथा शकरकंद छीलते समय माँ से मार अवश्य खाती है क्योंकि छीलते-छीलते शकरकंद मुंह में डाल लेती है। लेकिन माँ से गाली सुनकर तथा मार खाकर भी वह रुठती नहीं है।
प्रश्न 10. 'लाल पान की बेगम' कहानी का सारांश लिखें।
उत्तर- प्रस्तुत कहानी 'लाल पान की बेगम' फणीश्वरनाथ रेणु द्वारा लिखित ग्रामीण जीवन की कहानी है। इसमें कहानीकार ने यह स्पष्ट करने का प्रयास किया है की गाँव में लोग किस तरह एक-दुसरे के साथ ईर्ष्या-द्वेष, राग-विराग, आशा-निराशा तथा हर्ष-विषाद के गहरे आवर्त में बंधे होते है। कहानी की नायिका बिरजू की माँ है। इसके अतिरिक्त बिरजू, बिरजू के पिता, चंपिया, मखनी फुआ तथा गाँव की कुछ अन्य स्त्रियाँ है। कहानी का ताना-बाना ग्रामीण परिवेश के आधार पर बुना जाता है, जिसे कहानीकार ने बड़े ही सहज एवं स्वाभाविक ढंग से प्रस्तुत किया है।
बिरजू की माँ के परिवार में महीनों पहले से बैलगाड़ी में बैठकर बलरामपुर का नाच देखने की योजना बना रही है। सुबह से ही परिवार में नाच देखने जाने की चहल-पहल तथा उमंग-तरंग है। बिरजू की माँ शकरकंद की रोटी बनाने की तैयारी कर रही है। इधर किसी पड़ोसिन से कहा-सुन्नी हो जाती है। जंगी की पतोहू बिरजू की माँ से डरती नहीं है। वह उसे लाल पण का बेगम कहती है तथा कमर पर घड़े को संभाल मटककर बोलती हुई 'चल दिदिया चल' कहकर चल देती है। बिरजू की माँ अपनी बेटी चंपिया से कहती है की ''सहुआइन जल्दी सौदा नहीं देती की नानी! एक सहुआइन की ही दुकान पर मोती झड़ते है, जो जड़ गाड़कर बैठी हुई थी।''
शाम हो गई। दिया-बाती का समय हो चूका है। अभी तक गाड़ी नहीं आई है। बिरजू की माँ के सब्र का बांध टूट रहा है। आक्रोशवश वह शकरकंद छिलना बंद कर देती है तथा कहती है की 'यह मर्द नाच दिखाएगा ? चढ़ चुकी गाड़ी पर, देख चुकी जी-भर नाच।' वह बिरजू एवं चंपिया की ढिबरी बुझा देने का आदेश देती है तथा खप्पची गिराकर चुपचाप सो जाने को कहती है। वह भी सोने का उपक्रम करती है। उसके मन में अपने पति के विरुद्ध क्रोध की ज्वाला धधक रही है। वह मडैया के अन्दर चटाई पर करवटें ले रही थी की तभी बिरजू का पिता बैलगाड़ी लेकर आ धमकता है। गाड़ी के आते ही परिवार में ख़ुशी की लहर छा जाती है। शकरकंद की रोटी बनती है। फुआ बुलाई जाती है। बैलगाड़ी पर सभी सवार होते है। गाड़ी बलरामपुर की ओर चल पड़ती है। गाड़ी पर पड़ोस की कुछ औरतें भी सवार होती है। कार्तिक-पूर्णिमा की चमचमाती रात में खेतों में पकी धान की बालें देखकर गीत गाने लगती है। बिरजू की माँ जंगी की पुतोहू के सौन्दर्य में अपना सौन्दर्य देखती है तथा मन-ही-मन स्वीकार करती है की वह सचमुच लाल पान की बेगम है। उसके मन में अब कोई लालसा नहीं। सभी के साथ वह भी चलती बैलगाड़ी में सो जाती है।
प्रश्न 11. कहानी के पात्रों का परिचय अपने शब्दों में दीजिए।
उत्तर- प्रस्तुत कहानी 'लाल पान की बेगम' की नायिका बिरजू की माँ है। जो मुँहजोर, क्रोधी तथा स्नेहशील है। बिरजू का बाप क्रोधी तथा भीरु स्वभाव का है। कहानी की नायिका का बेटा बिरजू सात साल का है जो माँ का आज्ञापालन तथा हथछुट्टा है। बिरजू की बहन दस साल की है जो परिश्रमी, सहनशील तथा खुशमिजाज लड़की है। मखनी फुआ बूढी एवं कमजोर है। जंगी की पतोहू निर्भीक तथा रूपवती है।
प्रश्न 12. रेणु वातावरण और परिस्थिति का सम्मोहक और जिवंत चित्रण करने में निपुण है। इस दृष्टि से रेणु की विशेषताएँ अपने शब्दों में बाताइए।
उत्तर- प्रस्तुत कहानी 'लाल पान की बेगम' ग्रामीण परिवेश की कहानी है। नाच देखने-दिखाने के बहाने कहानीकार ने ग्रामीण जीवन के अनेक रंग-रेशे को गहरी संवेदना के साथ प्रकट किया है। रेणु जी ने ग्रामीण वातावरण एवं परिस्थिति का चित्रण करते हुए यह स्पष्ट करने का प्रयास किया है की गाँव में लोग किस तरह एक-दुसरे के साथ ईर्ष्या-द्वेष, राग-विराग, आशा-निराशा तथा हर्ष-विषाद के गहरे आवर्त में बंधे होते है। कहानीकार का कहना है की गाँव की गरीबी में भी मस्ती भरे जीवन का उल्लास समाया रहता है। गरीबी के सुख-दुःख से पूर्ण जीवन के बीच नाच देखकर मनोरंजन करना, बैलगाड़ी आते ही मन की सारी मलिनता तथा उदासी का त्यागकर नाच देखने के लिए चल देना अर्थात सारी उमंग, आशा-निराशा, बैचैनी, नाराजगी, उलाहना नाच देखने बैलगाड़ी पर बैठने भर में है। नाच देखने के लिए बैलगाड़ी के चलते ही सबकी मानसिकता बदल जाती है। सभी एक साथ बैठकर अपनी ख़ुशी का इजहार गीत गाकर करती है। बाद में सभी सो जाती है। इस प्रकार हम देखते है की रेणुजी परिस्थिति के अनुसार पात्रों के मनोभावों के चित्रण में अपनी कहानी कला की निपुणता का परिचय दिया है।
भाषा की बात (व्याकरण संबंधी प्रश्न एवं उत्तर)
प्रश्न 1. निम्नलिखित लोकोक्तियों का अर्थ बताते हुए वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
(i) आगे नाथ न पीछे पगहिया, (ii) कथरी के नीचे दुशाले का सपना, (iii) धरती पर पाँव न रखना।
उत्तर- (i) आगे नाथ न पीछे पगहिया (किसी प्रकार की जिम्मेदारी का न होना) - अरे; मोहन लाल की बात क्या करते हो, उसके आगे नाथ न पीछे पगहिया है।
(ii) कथरी के नीचे दुशाले का सपना (शक्ति से अधिक आशा करना) - उसने तृतीय श्रेणी से मैट्रिक की परीक्षा पास की है किन्तु डॉक्टर बनने का सपना देखता है, इसी को कहते है कथरी के नीचे दुशाले का सपना देखना।
(iii) धरती पर पाँव न रखना (घमंडी होना) - किरानी की नौकरी मिलते ही वह धरती पर पाँव ही नहीं रखता है।
प्रश्न 2. सहुआइन में आइन प्रत्यय लगा हुआ है। 'आइन' प्रत्यय से पाँच शब्द बनाएँ :
उत्तर- पंडित + आइन = पंडिताइन
मिसर + आइन = मिसराइन
लला + आइन = लालाइन
पितर + आइन = पितराइन
ओझा + आइन = ओझाइन
प्रश्न 3. निम्नलिखित शब्दों का प्रत्यय बताएँ :
उत्तर- पड़ोसिन - पड़ोस + इन
पगहिया - पगहा + इया
मुरलिया - मुरली + इया
खिलखिलाहट - खिलखिलाना + हट
प्रश्न 4. निम्नलिखित शब्दों के समास निर्धारित करें :
रसोई-पानी, पंचकौरी, मान-मनौती, दिया-बाती, बेटी-पतोहू।
उत्तर- रसोई पानी - रसोई तथा पानी = द्वंद्व समास
पंचकौड़ी - पाँच कौड़ियों का समूह = द्विगु समास
मान-मनौती - मान एवं मनौती = द्वंद्व समास
दिया-बाती - दिया और बाती = द्वंद्व समास
बेटा-पतोहू - बेटा और बेटी = द्वंद्व समास
प्रश्न 5. 'जोरू जमीन जोर के नहीं तो किसी और के' कहावत का अर्थ वाक्य प्रयोग द्वारा स्पष्ट करें।
उत्तर- बाप रे मरते ही राम की जमीन मोहन ने कब्जा कर लिया है, क्योंकि राम कमजोर है, लेकिन उसका बाप हस्ती वाला था, इसलिए लोग कहते है की जोरू जमीन जोर के नहीं तो किसी और के।
प्रश्न 6. पाठ से देशज शब्दों को छांटकर लिखें।
उत्तर- बागड़, मडैया, पतुरिया, लोट, कल्ला, कनवां, ढिबरी, मुड़ी।